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भारत ने तोड़ दिया तुर्की के बायरकतार ड्रोन का भ्रमजाल… भारतीय वायुसेना ने एर्दोगन के सबसे अचूक हथियार की कैसे खोद डाली कब्र?

इस्लामाबाद/अंकारा: हथियारों की दुनिया में अगर किसी देश के हथियार की टेक्नोलॉजी अगर सार्वजनिक हो जाए तो उस हथियार का मोल मिट्टी के बराबर होता है। पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ संघर्ष के दौरान दो सबसे खतरनाक विदेशी हथियारों का इस्तेमाल किया था। एक चीन की पीएल-15 मिसाइल और दूसरा हथियार तुर्की का ड्रोन था। भारत ने पीएल-15 मिसाइल को सही सलामत इंटरसेप्ट कर लिया। इस मिसाइल की टेक्नोलॉजी की जांच के लिए फ्रांस, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, ताइवान और जापान समेत कई देश मलबा लेने के लिए भारत से बात कर रहे हैं। अपुष्ट खबरों के मुताबिक भारत ने पीएल-15 मिसाइल का मलबा शायद अभी जापान को जांच के लिए दिया है। यानि चीन की सबसे खतरनाक मिसाइल एक्सपोज हो चुकी है। भारत ने तुर्की की मिसाइल के साथ भी यही किया है।

तुर्की के Bayraktar TB2 ड्रोन की भारत-पाकिस्तान युद्ध से पहले खूब चर्चा थी। यूक्रेन से लेकर लीबिया तक के युद्धों में इसे बहुत अच्छा हथियार माना गया। लेकिन पाकिस्तान में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान ये ड्रोन बुरी तरह से नाकाम हो गये। इससे तुर्की की साख मिट्टी में मिल गई है। वहीं भारत को वो ‘दुष्ट पड़ोसी’ जो इस ड्रोन को खरीदने के लिए दाम दे चुके हैं, वो अपना माथा पीट रहे होंगे। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक भारतीय सेना ने स्वदेशी ‘आकाशतीर’ एयर डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तान के सभी तुर्की से मिले ड्रोन मार गिराए। इस घटना के बाद तुर्की का डिफेंस इंडस्ट्री अपनी इज्जत बचाने में लगा है।

Bayraktar TB2 की इज्जत बचाने में लगा तुर्की
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन हमेशा से तुर्की में बने ड्रोन को अपनी ‘इस्लामी सोच’ का प्रतीक बताते रहे हैं। वे इसे तुर्की की डिफेंस इंडस्ट्री का अहम हिस्सा मानते थे। ये ड्रोन सिर्फ ताकत दिखाने का हथियार नहीं थे, बल्कि अफ्रीका, मध्य पूर्व और मध्य एशिया में तुर्की का प्रभाव बढ़ाने का एक जरिया भी थे। लेकिन भारत के आकाशतीर सिस्टम ने पाकिस्तानी ड्रोन को 100% सटीकता से मार गिराया। इससे तुर्की के हथियार बेचने के सपने को करारा झटका लगा है। भारत के एक बड़े सैन्य अधिकारी ने कहा कि ‘एक भी ड्रोन अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर पाया’। इस नाकामी से तुर्की के ड्रोन की युद्ध में विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे हैं। साथ ही, तुर्की के डिफेंस इंडस्ट्री के वादों पर भी संदेह होने लगा है.

पाकिस्तान की सेना ने तुर्की से सैकड़ों ड्रोन खरीदे थे। पाकिस्तान सोच रहा था कि इससे वे भारत की हवाई सुरक्षा को भेद देंगे। तुर्की इसके जरिए भारतीय उपमहाद्वीप के साथ साथ पूरी दुनिया में अपनी ड्रोन को धौंस दिखाना चाहता था। लेकिन उनका हमला बुरी तरह से फेल हो गया। भारतीय वायुसेना के रक्षा अधिकारियों टीओआई को बताया कि उन्होंने 300-400 तुर्की ड्रोन मार गिराए। इनमें Byker YIHA III कामिकेज ड्रोन और Songatri और eYatri जैसे छोटे ड्रोन भी शामिल थे। ये ड्रोन भारत की सुरक्षा को खरोंच भी नहीं पहुंचा पाए. रॉयटर्स को एक पाकिस्तानी सूत्र ने बताया कि तुर्की के ड्रोन का मकसद लड़ाकू विमानों और तोपखाने के हमलों को कवर देना था। उसका मकसद भारत के डिफेंस सिस्टम को नष्ट करना था। लेकिन भारत के इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस, जैसे कि L70 गन और आकाशतीर रडार ने ड्रोन को टारगेट तक पहुंचने ही नहीं दिया। ऐसे में माना जा रहा है कि तुर्की के ड्रोन के ऑर्डर कैंसिल हो सकते हैं।

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