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ट्रकों से 4000KM भेजा ड्रोनों का जखीरा और एयरबेस पर मचा दी तबाही… FPV ड्रोन को ट्रैक करने में क्यों नाकाम हो गए रूसी डिफेंस सिस्टम?

मॉस्को/कीव: यूक्रेनी अधिकारियों ने रूसी एयरबेस पर ड्रोन हमले में कम से कम 40 बम बरसाने वाले बॉम्बर्स को तबाह करने का दावा किया है। फिलहाल रूस की तरफ से इसकी पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन अगर पुष्टि होती है तो 2022 में शुरू हुए यूक्रेन युद्ध के बाद रूस के खिलाफ ये सबसे भयानक हमला होगा। द कीव इंडीपेंडेंट ने दावा किया है कि यूक्रेन की सुरक्षा सेवा (SBU) ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया है, जिसका मकसद रूसी एयरबेस को निशाना बनाना था। द कीव इंडीपेंडेंट ने एजेंसी के एक अधिकारी के हवाले से बताया है कि “रूस में दुश्मन के रणनीतिक बमवर्षक विमान सामूहिक रूप से जल रहे हैं और यह एसबीयू द्वारा चलाए गए एक स्पेशल ऑपरेशन का नतीजा है।” अधिकारी ने कहा कि “अभी, यूक्रेन की सुरक्षा सेवा रूसी संघ के पिछले हिस्से में दुश्मन के बमवर्षक विमानों को नष्ट करने के लिए बड़े पैमाने पर विशेष ऑपरेशन चला रही है।

यूक्रेनी अखबार ने दावा किया है कि यूक्रेनी एजेंसी के हमले में रूस के ए-50, टीयू-95 और टीयू-22 एम3 बमबर्षक तबाह हुए हैं। सूत्र ने बताया कि एक हवाई अड्डा, जिसपर हमला हुआ है उसका नाम इरकुत्स्क ओब्लास्ट में स्थित बेलाया हवाई अड्डा है, जो यूक्रेन से 4000 किलोमीटर से ज्यादा दूर है। रिपोर्ट्स के मुताबिक ये हमला रूस के अंदर से किए गये हैं और कई अखबारों ने लिखा है कि ट्रकों के जरिए छिपाकर ड्रोन को रूस के अंदर भेजा गया था। एक ट्रक ड्राइवर के गिरफ्तार होने की भी रिपोर्ट है। हालांकि हम इन दावों की पुष्टि नहीं कर रहे हैं, क्योंकि पाकिस्तान की तरह यूक्रेन भी प्रोपेगेंडा फैलाने में माहिर है, जिसमें उसे पश्चिमी मीडिया का साथ मिलता है।

FPV ड्रोन ने रूसी एयरबेस को बनाया निशाना
यूक्रेनी मीडिया का दावा है कि यूक्रेन की एजेंसी ने रूस के दो सबसे संवेदनशील एयरबेसों पर भयानक FPV ड्रोन हमला किया है, जिनमें Tu-95, Tu-22M3 बमवर्षक और A-50 जैसे हाई-एंड अर्ली वॉर्निंग जेट्स शामिल हैं। अगर यूक्रेन के दावे सही हैं, जिसकी हम पुष्टि नहीं करते हैं तो उससे पता चलता है कि कम कीमत वाले FPV ड्रोन एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र के एयर डिफेंस सिस्टम में भी छेद सकते हैं। FPV यानि First Person View ड्रोन दरअसल ऐसे छोटे और हल्के ड्रोन होते हैं, जिन्हें सीधे पायलट कैमरे के जरिए रियल-टाइम में उड़ाता है, जैसे कि कोई वीडियो गेम खेल रहा हो। इन्हें आमतौर पर एक छोटे मॉनिटर या VR चश्मे के जरिए कंट्रोल किया जाता है। इसकी लागत काफी कम होती है। ये 500 से 3000 डॉलर में बनाए जाते हैं और इनकी रेंज 100 से 150 किलोमीटर के बीच होती है। इस ड्रोन में काफी आसानी से ग्रेनेड और विस्फोटक लगाए जा सकते हैं। लिहाजा यूक्रेन के इस दावे में दम दिखता है कि उसने ट्रकों के जरिए ये ड्रोन रूस में करीब 4000 किलोमीटर दूर एयरबेस तक भेजे होंगे। इनकी साइज छोटी होती है और ये बहुत कम ऊंचाई पर उड़ते हैं, इस वजह से रडार के लिए इने ट्रैक करना अत्यंत मुश्किल हो जाता है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक FPV ड्रोन रूस के भीतर ही छिपे ठिकानों से लॉन्च किए गए, जहां ये छोटे ट्रकों में छिपाए गए थे। सूत्रों के मुताबिक, ड्रोन को एयरबेस की हवाई पट्टियों और विमान खड़े होने वाले इलाकों पर भेजा गया और उन्होंने इंजन, विंग और हथियार स्टेशनों को सटीक निशाना बनाया। दावा किया गया है कि इस हमले से रूस को 2 अरब डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ है और उसकी लॉन्ग-रेंज स्ट्राइक क्षमता को तगड़ा झटका लगा है। Tu-95, जो रूस का स्ट्रैटेजिक बमवर्षक एयरक्राफ्ट है और जिससे क्रूज मिसाइलें दागी जाती हैं, उसके नष्ट होने का दावा किया गया है। Tu-22M3, जो सुपरसोनिक बमवर्षक है और जिसका इस्तेमाल यूक्रेन पर मिसाइल स्ट्राइक के लिए होता है, उसके भी तबाह होने की रिपोर्ट है। इसके अलावा A-50, जो अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम है, यानी रूसी वायुसेना की आंख और कान, उसके भी यूक्रेनी हमले में नष्ट होने का दावा किया गया है।

रूस का एयर डिफेंस फेल कैसे हुआ?
रूस के पास दुनिया के सबसे एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम हैं, जैसे S-400, Pantsir-S1, Tor-M2, Buk-M3। फिर भी रूस FPV ड्रोन को हमला करने से रोकने में नाकाम रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक FPV ड्रोन की साइज करीब एक मोटोरोला सिग्नलिंग डिवाइस जितनी होती है। ये परंपरागत मिलिट्री ड्रोन की तुलना में बेहद छोटे और धीमी गति से उड़ते हैं, जिससे ये रडार पर दिखाई ही नहीं देते। S-400 जैसे सिस्टम क्रूज मिसाइल या फाइटर जेट्स के लिए बने हैं, न कि प्लास्टिक के 5 किलो के ड्रोन के लिए। इसके अलावा FPV ड्रोन बहुत नीचे उड़ते हैं। ये किसी पेड़ या एक या दो मंजिला इमारत की ऊंचाई के स्तर पर उड़ान भरते हैं, जिससे रडार लाइन-ऑफ-साइट नहीं पकड़ पाता। हालांकि रूस के पास इलेक्ट्रॉनिक जैमर सिस्टम हैं, लेकिन FPV ड्रोन को अगर ऑटोनोमस नेविगेशन या लेजर गाइडेंस से लैस किया जाए, तो वे जामिंग से भी बच निकलते हैं।

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