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‘तुम मुस्लिमों को फर्जी पकड़ कर लाए हो’: अलीगढ़ में ट्रेन से कटने चला गया सब इंस्पेक्टर, कहा- बाइक चोरों का रिमांड लेने कोर्ट गया, मजिस्ट्रेट ने धमकाया-अभद्र व्यवहार किया

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में एक सब इंस्पेक्टर द्वारा रिमांड मजिस्ट्रेट पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। सब इंस्पेक्टर सचिन कुमार का कहना है कि मजिस्ट्रेट ने न केवल उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, बल्कि उन पर मुस्लिमों को फर्जी मामलों में फंसाने का आरोप भी लगाया। इस घटना से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है, जिसमें सचिन कुमार रेलवे लाइन पर बैठे नजर आ रहे हैं और आत्महत्या की बात कर रहे हैं।

सब इंस्पेक्टर सचिन कुमार ने मंगलवार (17 सितंबर 2024) को अपने ही थाने में एक शिकायती पत्र दिया है। इस पत्र में सचिन का आरोप है कि मजिस्ट्रेट अभिषेक त्रिपाठी ने बार-बार उन्हें अपने केबिन में बुला कर अभद्रता की और मुस्लिमों को फर्जी तौर पर गिरफ्तार करने की बात कही।

यह मामला अलीगढ़ के थानाक्षेत्र बन्नादेवी का है, जहाँ 16 सितंबर 2024 को सब इंस्पेक्टर सचिन कुमार पाँच बाइक चोरों – अदीब, फैज़, अरबाज़, आमिर और शाकिर – की रिमांड मंजूर करवाने के लिए अदालत पहुँचे। इस केस में अलीगढ़ के बन्नादेवी थाने में FIR दर्ज की गई थी, जिसमें सचिन कुमार मामले के विवेचक थे। गिरफ्तार किए गए सभी आरोपितों पर पहले से कई आपराधिक मुकदमे दर्ज थे, और उनके पास से चोरी की गई सात बाइकें बरामद हुई थीं। इसके अलावा, स्कूटी और मोटर पार्ट्स भी इन आरोपितों से मिले थे।

शाम 4 बजे, सब इंस्पेक्टर सचिन कुमार इन आरोपितों की रिमांड के लिए मजिस्ट्रेट अभिषेक त्रिपाठी की अदालत में पहुँचे। लेकिन उनके अनुसार, मजिस्ट्रेट ने उन्हें रात 10 बजे तक अदालत में बैठाए रखा और बार-बार अपने विश्राम कक्ष में बुलाकर अभद्र व्यवहार किया। सचिन कुमार का आरोप है कि मजिस्ट्रेट ने उन्हें बार-बार धमकाते हुए कहा, “तुम मुस्लिमों को फर्जी फंसाकर लाए हो।”

एक्स यूजर अधिवक्ता व पत्रकार अजय द्विवेदी ने 17 सितंबर को एक वीडियो व तहरीर शेयर की है। यह तहरीर सब इंस्पेक्टर सचिन कुमार की होने का दावा किया गया है। इस तहरीर में सचिन कुमार के हवाले से लिखा गया है कि 16 सितंबर को वो वाहन चोरी के एक केस में नामजद अदीब, फैज़, अरबाज़, आमिर और शाकिर का रिमांड मंजूर करवाने शाम 4 बजे रिमांड मजिस्ट्रेट की कोर्ट में गए थे। यह कोर्ट मजिस्ट्रेट अभिषेक त्रिपाठी की थी।

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अजय द्विवेदी द्वारा शेयर की तहरीर में आगे बताया गया है कि जज साहब शाम 5 बजे कोर्ट में आए। तब दारोगा ने मजिस्ट्रेट से आरोपितों की रिमांड मंजूर करने का निवेदन किया। आरोप है कि सब इंस्पेक्टर को रात 10 बजे तक कोर्ट में बिठाए रखा गया। इस दौरान हर 10 मिनट पर दारोगा को अपने विश्राम कक्ष में बुलाया गया और अभद्रता की गई और साथ ही धमकी भी दी गई। बकौल दारोगा मजिस्ट्रेट ने उनसे कहा, “तुम मुस्लिमों को फर्जी पकड़ कर लाए हो।”

शिकायत में बताया गया है कि अदीब, फैज़, शाकिर, आमिर और अरबाज़ के खिलाफ पहले से कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इन सभी के पास से चोरी की 7 बाइकें भी बरामद हुईं हैं। स्कूटी और मोटर पार्ट्स भी बरामद किए जाने का दावा इसी शिकायत कॉपी में किया गया है। दारोगा सचिन कुमार का यह भी दावा है कि न सिर्फ उनके द्वारा प्रस्तुत रिमांड को अस्वीकार कर दिया गया बल्कि उन्हें इतना प्रताड़ित किया गया कि उनके मन में आत्महत्या का भी विचार आने लगा।

एक वायरल वीडियो में सब इंस्पेक्टर को रेलवे पटरी पर बैठे देखा जा सकता है। इसी वीडियो में कुछ पुलिसकर्मी दारोगा सचिन कुमार को आत्महत्या न करने के लिए मना रहे हैं। वीडियो में भी दरोगा ने वही बातें कहीं हैं जो कि शिकायत कॉपी में लिखी गई हैं। पुलिसकर्मी ने इस पत्र में कार्रवाई की माँग की है।

SSP के निर्देश पर हुआ था एक्शन

जिस मामले में सब इंस्पेक्टर सचिन कुमार ने अदीब, फैज़, शाकिर, आमिर और अरबाज़ के खिलाफ अदालत में रिमांड का प्रयास किया था उसकी FIR कॉपी ऑपइंडिया के पास मौजूद है। यह FIR 16 सितंबर (सोमवार) को बन्नादेवी थाने में सब इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार की शिकायत पर दर्ज हुई थी। सब इंस्पेक्टर सचिन कुमार इस केस में विवेचक हैं। तब पुलिस ने बाइक चोरी के गिरोह से जुड़े पाँचों आरोपितों को गिरफ्तार किया था। पूछताछ में इस गिरोह ने बताया था कि वो 60-70 बाइकें चोरी कर के काट चुके हैं।

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अलीगढ़ पुलिस ने इस कार्रवाई को SSP के निर्देश पर किया गया एक गुडवर्क माना था। तब पुलिस ने इन सभी के पास से 4 बाइकें और 3 स्कूटी बरामद की थी। इसके अलावा इनके पास से बाइक के पार्ट्स भी मिले थे जिसमें टंकी, साइलेंसर आदि शामिल है। गिरफ्तारी से पहले ये आरोपित सरकारी अस्पताल के आसपास घूम रहे थे। सभी आरोपितों की उम्र 19 से 25 साल के बीच है। इन सभी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 317 (2), 317 (4) और 317 (5) के तहत करवाई की गई थी।

इस घटना के बाद, कई कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो यह न्यायिक प्रणाली पर सवाल खड़े करता है। एक पुलिसकर्मी के साथ इस प्रकार का व्यवहार न केवल उनके मनोबल को कमजोर करता है, बल्कि इससे न्यायिक प्रणाली की निष्पक्षता पर भी असर पड़ता है। यह मामला केवल एक पुलिसकर्मी और मजिस्ट्रेट के बीच का विवाद नहीं है, बल्कि यह न्यायिक प्रणाली और कानून-व्यवस्था से जुड़े गंभीर सवाल उठाता है। अब देखना यह होगा कि इस मामले में क्या कार्रवाई की जाती है और सचिन कुमार की आत्महत्या की धमकी के पीछे की सच्चाई क्या है।

 

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