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भारत नहीं चाहेगा बलूचिस्तान में अशांति… पूर्व पाकिस्‍तानी उच्‍चायुक्‍त ने खोली हिंसा की परतें, अमेरिका, ईरान और चीन का लिया नाम

इस्लामाबाद: भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहे अब्दुल बासित ने बलूचिस्तान में हो रही हिंसा पर प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि बलूचिस्तान में अशांति के पीछे अकेले भारत नहीं कई देशों पर शक की सुई घूम रही है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि बलूचिस्तान का अस्थिर होना भारत के लिए कई लिहाज से अच्छा नहीं है। बासित ने इसमें ईरान की किसी भूमिका को भी नकारा है। साथ ही उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान की सरकार बलूचिस्तान के लोगों से बातचीत और प्यार-मुहब्बत के जरिए इस मसले का हल निकालने की तरफ कदम बढ़ाए।

अब्दुल बासित ने अपने एक वीडियो में कहा है, ‘जाफर एक्सप्रेस पर हमले के बाद लगातार कई तरह की बातें सामने आ रही हैं। एक तो ये है कि बलूचिस्तान के लोगों की उस तरह से तरक्की नहीं हुई, जैसे होनी चाहिए थी। ये बात सही है और इसकी वजह से बलूच लोगों में गुस्सा है। हालांकि वहां के गुट इतने बड़े हमले बिना किसी विदेशी मदद के नहीं कर सकते हैं, ये भी एक सच है। ऐसे में कई देशों पर उंगली उठ रही है।’

ग्वादर पोर्ट पर कई देशों की नजर

बासित का कहना है कि दुनिया के कई देशों की इस इलाके में दिलचस्पी की वजह ग्वादर पोर्ट है। चीन के लिहाज से सीपैक के लिए ये जरूरी है कि ग्वादर पोर्ट सक्रिय रहे। दूसरी ओर अमेरिका नहीं चाहता है कि ग्वादर चले और चीन को समुद्र के बड़े हिस्से पर पहुंच मिल जाए। भारत के रिश्ते भी चीन से अच्छे नहीं रहे हैं। ऐसे में समझ आता है कि ग्वादर पोर्ट तक चीन को जाने से रोकने के लिए बलूचिस्तान में हिंसा का सहारा लिया जा सकता है।

पाकिस्तान की सेना ने जाफर एक्सप्रेस की घटना के लिए भारत को जिम्मेदार कहा है। इस तरफ इशारा करते हुए बासित ने कहा, ‘भारत ने पाकिस्तान के आरोपों को खारिज किया है। हालांकि सच्चाई ये है कि पाकिस्तान ने सबूतों के आधार पर ही उंगली उठाई है। इस सबके बीच मुझे लगता है कि बलूचिस्तान में हिंसा चाबहार पोर्ट पर असर डाल सकती है, जो भारत के लिए बहुत अहम है। इतना ही नहीं इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर भी प्रभावित हो सकता है। भारत को रूस, ईरान, यूरोप और मध्य एशिया से जोड़ने वाला 7,200 किलोमीटर लंबा रूट चाबहार की तरह ही दिल्ली के लिए अहम है। भारत इन दो अहम प्रोजेक्ट को खतरे में डालने से बचेगा।’

बासित ने कहा कि भारत के अलावा कुछ लोगों ने एक और पड़ोसी ईरान की तरफ भी उंगली उठाई हैं। मुझे नहीं लगता कि वो ऐसे करेंगे क्योंकि बलूचिस्तान में अशांति से ईरान में भी अशांति हो सकती है। अफगानिस्तान पर आरोप लग रहे हैं। मुझे लगता है कि अफगान जमीन का इस्तेमाल हो सकता है। भारत का भी अफगानिस्तान में कुछ प्रभाव हो सकता है। इतना ही नहीं गल्फ देशों से भी बलूचिस्तान में पैसा आ रहा है। ऐसे में इस पर सीधा कुछ कहना आसान नहीं है।

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