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जिस शराब घोटाले को हाईकोर्ट में नकारा, उसी मामले में जांच एजेंसी ने पकड़ा 38 करोड़ का घपला

रांची। राज्य में शराब घोटाले को लेकर उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग की गतिविधियां भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के रडार पर है। लगभग सभी अधिकारी संदेह के घेरे में हैं। 

एक-एक कर सबको समन भी हाे रहा है। इसी बीच एक नई जानकारी सामने आई है, जिसमें विभाग की ओर से हाई कोर्ट को गुमराह करते हुए झूठा शपथ पत्र दाखिल किया गया है। 

उमेश कुमार की ओर से दाखिल जनहित याचिका में सरकार की ओर से उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के उप आयुक्त उत्पाद (मुख्यालय) डॉ. राकेश कुमार ने 24 अप्रैल 2023 को हाई कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल कर बताया था कि विभाग में किसी तरह का कोई घोटाला नहीं हुआ है, आरोप बेबुनियाद व निराधार है।

सरकार ने शपथ पत्र के माध्यम से हाई कोर्ट में जिस शराब घोटाले को नकारा था, उसी सरकार की जांच एजेंसी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने जांच में 38 करोड़ का घोटाला पकड़ा है। घोटाले का यह मामला मई 2022 में राज्य में लागू नई उत्पाद नीति से संबंधित है। 

अब तक इन लोगों की हुई गिरफ्तार

एसीबी ने इस मामले में उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव आइएएस विनय कुमार चौबे, संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह, महाप्रबंधक वित्त सुधीर कुमार दास, महाप्रबंधक वित्त सह संचालन सुधीर कुमार व प्लेसमेंट एजेंसी मेसर्स मार्शन इनोवेटिव सिक्यूरिटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड के स्थानीय प्रतिनिधि नीरज कुमार सिंह को गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया है। जांच एजेंसी ने यह घोटाला करीब 200 करोड़ से अधिक होने का दावा किया जा रहा है। 

क्या है पूरा मामला

मेश कुमार नामक एक व्यक्ति ने झारखंड उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआइएल) दाखिल कर आरोप लगाया था कि राज्य में लीकर लाइसेंस में मनी का फ्लो हुआ है।

 

मतलब शराब के लाइसेंस के लिए अवैध धन का गलत इस्तेमाल किया गया है। उसने इससे संबंधित तर्क भी दिया था और न्यायालय से इसकी जांच का आग्रह किया था।

 

पीआइएल पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने आयकर विभाग व झारखंड सरकार को नोटिस कर शपथ पत्र के माध्यम से अपना पक्ष रखने का आदेश दिया।

 

आयकर विभाग की ओर से अपर निदेशक आयकर अन्वेष्ण अमित कुमार ने शपथ पत्र के माध्यम से बताया कि उक्त मामला आयकर से संबंधित नहीं है।

 

वहीं, राज्य सरकार की ओर से उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के उप आयुक्त उत्पाद डॉ. राकेश कुमार ने शपथ पत्र दाखिल कर पीआइएल को झूठा करार दिया और कहा था कि कोई शराब घोटाला नहीं हुआ है।

 

सरकार पहुंची सर्वोच्च न्यायालय, हाई कोर्ट में भी पीआइएल लंबित

पीआइएल पर हाई कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दाखिल किया। उक्त एसएलपी सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है।

 

इधर, एसएलपी दाखिल होने के बाद हाई कोर्ट में भी पीआइएल लंबित है। हाई कोर्ट ने 27 दिसंबर 2024 को पीआइएल के शिकायतकर्ता उमेश कुमार को हटा दिया है। कोर्ट इसमें स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही है।

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