



श्रीगंगानगर में 2000 करोड़ रुपये की साइबर ठगी का सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसमें बीकानेर के खारडा, नापासर से मुख्य आरोपी कृष्ण शर्मा को गिरफ्तार किया गया है. श्रीगंगानगर पुलिस ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए एक ऐसे साइबर अपराधी नेटवर्क का पर्दाफाश किया है, जिसने कर्नाटक सहित देशभर के हजारों लोगों को अपने जाल में फंसाकर करोड़ों रुपये की ठगी की. पुलिस को आरोपी के बैंक खाते में 99,65,47,938 रुपये के लेनदेन का रिकॉर्ड मिला है.
पुलिस ने किया गिरफ्तार
श्रीगंगानगर पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि कुछ लोग देशभर में साइबर ठगी के जरिए बड़े पैमाने पर पैसे उगाही कर रहे हैं. इस सूचना के आधार पर पुलिस ने जांच शुरू की और बीकानेर के नापासर थाना क्षेत्र के खारडा गांव में छापेमारी कर कृष्ण शर्मा को गिरफ्तार किया. जांच में पता चला कि कृष्ण शर्मा के बैंक खाते में 99.65 करोड़ रुपये के लेनदेन का रिकॉर्ड है, जो विभिन्न साइबर ठगी की घटनाओं से जुड़ा है. पुलिस ने बताया कि यह रैकेट कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में सक्रिय था, जहां हजारों लोग इनके शिकार बने.
श्रीगंगानगर पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि कुछ लोग देशभर में साइबर ठगी के जरिए बड़े पैमाने पर पैसे उगाही कर रहे हैं. इस सूचना के आधार पर पुलिस ने जांच शुरू की और बीकानेर के नापासर थाना क्षेत्र के खारडा गांव में छापेमारी कर कृष्ण शर्मा को गिरफ्तार किया. जांच में पता चला कि कृष्ण शर्मा के बैंक खाते में 99.65 करोड़ रुपये के लेनदेन का रिकॉर्ड है, जो विभिन्न साइबर ठगी की घटनाओं से जुड़ा है. पुलिस ने बताया कि यह रैकेट कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में सक्रिय था, जहां हजारों लोग इनके शिकार बने.
ठगी का तरीका
पुलिस की प्रारंभिक जांच के अनुसार, यह साइबर ठगी रैकेट लोगों को फर्जी निवेश योजनाओं, क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग और झूठे लकी ड्रॉ के नाम पर लुभाता था. आरोपी व्हाट्सएप कॉल्स, सोशल मीडिया और फर्जी वेबसाइट्स के जरिए लोगों को अपने जाल में फंसाते थे. कुछ मामलों में, वे खुद को बैंक अधिकारी या कानून प्रवर्तन एजेंसी के कर्मचारी बताकर लोगों को डराते और उनके बैंक खातों से पैसे ट्रांसफर करवाते थे. इस रैकेट ने विशेष रूप से उन लोगों को निशाना बनाया, जो आसान कमाई और उच्च रिटर्न की तलाश में थे.
पुलिस की प्रारंभिक जांच के अनुसार, यह साइबर ठगी रैकेट लोगों को फर्जी निवेश योजनाओं, क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग और झूठे लकी ड्रॉ के नाम पर लुभाता था. आरोपी व्हाट्सएप कॉल्स, सोशल मीडिया और फर्जी वेबसाइट्स के जरिए लोगों को अपने जाल में फंसाते थे. कुछ मामलों में, वे खुद को बैंक अधिकारी या कानून प्रवर्तन एजेंसी के कर्मचारी बताकर लोगों को डराते और उनके बैंक खातों से पैसे ट्रांसफर करवाते थे. इस रैकेट ने विशेष रूप से उन लोगों को निशाना बनाया, जो आसान कमाई और उच्च रिटर्न की तलाश में थे.
शुरू हुई जांच
श्रीगंगानगर पुलिस ने इस मामले में “साइबर शील्ड” पहल के तहत कार्रवाई की. इस पहल के तहत, पुलिस ने 75 से अधिक बैंक खातों की पहचान की, जिनमें 51.81 करोड़ रुपये के फर्जी लेनदेन का रिकॉर्ड मिला. इन खातों से जुड़ी शिकायतें 20 से अधिक राज्यों से प्राप्त हुई हैं, जिसमें कर्नाटक, केरल और महाराष्ट्र प्रमुख हैं. पुलिस ने कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, मोबाइल फोन और सिम कार्ड भी जब्त किए हैं, जो इस रैकेट के संचालन में इस्तेमाल किए गए थे. SP गौरव यादव ने बताया कि कुछ निजी बैंकों के कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है, जो बिना उचित सत्यापन के फर्जी खातों के लिए ATM और पासबुक किट जारी करने में शामिल थे. इन कर्मचारियों के खिलाफ भी जांच शुरू की गई है.
श्रीगंगानगर पुलिस ने इस मामले में “साइबर शील्ड” पहल के तहत कार्रवाई की. इस पहल के तहत, पुलिस ने 75 से अधिक बैंक खातों की पहचान की, जिनमें 51.81 करोड़ रुपये के फर्जी लेनदेन का रिकॉर्ड मिला. इन खातों से जुड़ी शिकायतें 20 से अधिक राज्यों से प्राप्त हुई हैं, जिसमें कर्नाटक, केरल और महाराष्ट्र प्रमुख हैं. पुलिस ने कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, मोबाइल फोन और सिम कार्ड भी जब्त किए हैं, जो इस रैकेट के संचालन में इस्तेमाल किए गए थे. SP गौरव यादव ने बताया कि कुछ निजी बैंकों के कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है, जो बिना उचित सत्यापन के फर्जी खातों के लिए ATM और पासबुक किट जारी करने में शामिल थे. इन कर्मचारियों के खिलाफ भी जांच शुरू की गई है.
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