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इस शहर में आते ही 8 मुख्यमंत्रियों की चली गई कुर्सी! अनोखा है रहस्य, पीएम मोदी बोले- यहां शोक आने से डरता है

अशोकनगर: पीएम मोदी शुक्रवार को मध्य प्रदेश के अशोकनगर स्थित श्रीआनंदपुर धाम पहुंचे। यहां पीएम मोदी ने संबोधित करते हुए कहा कि अशोकनगर में शोक आने से डरता है। नरेन्द्र मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं जो अशोकनगर के इस धाम में पहुंचे हैं। अशोकनगर को लेकर एक मिथक है। ऐसा कहा जाता है कि मिथक के कारण 8 मुख्यमंत्रियों को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी है। ऐसे में कोई भी मुख्यमंत्री यहां आने से डरता है।

क्या है अशोकनगर का मिथक

मध्य प्रदेश के अशोकनगर को लेकर ऐसा मिथक है कि जो भी सीएम अशोकनगर जाता है, वह फिर सीएम पद पर नहीं रह पाता है। ऐसा कहा जाता है कि अब तक आठ मुख्यमंत्री अशोकनगर आए लेकिन सभी को अपना पद खोना पड़ा।

कौन-कौन से मुख्यमंत्री को खोनी पड़ी अपनी कुर्सी

ऐसा मिथक है कि सबसे पहले 1975 में मुख्यमंत्री प्रकाशचंद सेठी कांग्रेस के राज्य अधिवेशन में शामिल होने के लिए अशोकनगर आए थे। इस अधिवेशन के बाद वह मुख्यमंत्री पद से हट गए थे। 1977 में श्यामाचरण शुक्ल मुख्यमंत्री रहते हुए तुलसी सरोवर का लोकार्पण करने यहां लेकिन बाद में सीएम की कुर्सी से हटना पड़ा। वीरेन्द्र सखलेचा और कैलाश जोशी भी यहां गए लेकिन उन्हें कुर्सी गंवानी पड़ी।

1983 में मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव राजीव गांधी के साथ यहां आए बाद में उन्हें भी सीएम की कुर्सी छोड़ना पड़ा। 1986 में मुख्यमंत्री मोतीलाल बोरा यहां आए और उन्हें भी कुर्सी छोड़नी पड़ी। साल 1992 में मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा यहां आए और फिर सीएम नहीं बन पाए। 2003 में मुख्यमंत्री रहते हुए दिग्विजय सिंह यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ आए थे। उसके बाद राज्य में विधानसभा के चुनाव हुए और कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। दिग्विजय सिंह इसके बाद राज्य के मुख्यमंत्री कभी नहीं बन पाए।

शिवराज सिंह चौहान नहीं गए अशोकनगर

शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नेता है। वह करीब साढ़े 16 साल तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे। हालांकि मुख्यमंत्री रहते हुए वह कभी भी अशोकनगर नहीं आए। ऐसा कहा जाता है कि शिवराज सिंह चौहान अशोकनगर के आस-पास के गांवों में कार्यक्रम में शामिल होते और वहां से वापस चले जाते थे।

क्यों है ऐसा मिथक

अशोकनगर जिला मुख्यालय पर किसी मुख्यमंत्री के नहीं आने का कारण शहर का अति प्राचीन राजराजेश्वर महादेव मंदिर से भी जोड़ कर देखा जाता है। बताया जाता है कि शहर में राजराजेश्वर महादेव ही शहर में राजा के रूप में विराजमान हैं। भगवान शिव-पार्वती केवल यहां पर राजा-रानी के रूप विराजमान है।

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