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7 टन ‘नकली’ आम मिलने से मचा हड़कंप, जानिए इन्हें खाने वालों को हो सकता है कितना बड़ा नुकसान

गर्मी के इस मौसम में अगर बाजार जाएंगे तो आपको हर तरफ आम के ठेले नजर आएंगे. इन ठेलों पर रखें आम इतने सुंदर होते हैं कि हर किसी का खरीदने का मन करता है. लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है ये सुंदर और फ्रेश दिखने वाले जो आम हैं, वो नकली आम भी हो सकते हैं. दरअसल, तमिलनाडु में खाद्य सुरक्षा विभाग ने एक गोदाम से करीब 7.5 टन नकली आम जब्त किए हैं. अब सवाल है कि आखिर ये नकली आम क्या होते हैं, कैसे बनाए जाते हैं और अगर कोई इन्हें खा ले तो क्या होगा?

किसे बोलते हैं नकली आम?

इस नकली आम का मतलब ऐसा नहीं है कि ये आम मशीनों से पकाए जाते हैं. ये आम पेड़ों से ही तोड़े जाते हैं, लेकिन कृत्रिन तरीके से पकाने के तरीके की वजह से इन्हें नकली आम कहा जा रहा है. दरअसल, आमों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके इस्तेमाल पर बैन है. ऐसे पकाए गए आम हेल्थ के लिए काफी हानिकारक हैं.

आपको बताते हैं कि कैल्शियम कार्बाइड से किस तरह आम को पकाया जाता है और इससे कितने कम दिन में आम पककर तैयार हो जाते हैं. कैल्शियम कार्बाइट आसानी से बाजार में मिल जाता है, जिसे लोग हार्डवेयर की दुकान से भी खरीद सकते हैं. ये एक तरह के पत्थर की तरह होता है और इसे कई लोग चूना पत्थर भी बोलते हैं. कैल्शियम कार्बाइट से आम पकाने के लिए कच्चे आमों के बीच में कार्बाइट की पोटली बनाकर कपड़े में लपेटकर रख दी जाती है.

इसके बाद इसके चारों तरफ आम रखे जाते हैं. फिर आम की टोकरी को ऊपर बोरी से बंद कर दिया जाता है और अच्छे से पैक कर दिया जाता है. इसके बाद आम को बिना हवा वाली जगह पर 3-4 दिन रख देते हैं और फिर इसके बाद खोलते हैं तो सभी आम पक जाते हैं. होता क्या है कि कैल्शियम कार्बाइड को नमी के संपर्क में लाने से एसिटिलीन गैस बनती है जिससे फल पक जाते हैं. इससे आम के पेड़ पर पकने का इंतजार नहीं किया जाता और इस खतरनाक ट्रिक से आम पका लिए जाते हैं, जो सेहत के लिए काफी खतरनाक है. वैसे कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल मेटल कटिंग और स्टील मैक्युफैक्चरिंग में होता है.

हेल्थ के लिए कितने खतरनाक हैं?

अगर आप लंबे समय तक कैल्शियम कार्बाइड से पकाए गए आम खाते हैं तो इसके कैमिकल की वजह से पेट में दर्द, डायरिया, उल्टी की शिकायत हो सकती है. कैल्शियम कार्बाइड की वजह से चक्कर, सिरदर्द, मूड डिस्टर्ब जैसी दिक्कत हो जाती है. कुछ मामलों में दौरे भी पड़ सकते हैं.

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