



समंदर में इस समय बड़ी हलचल देखने को मिल रही है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि रूस की धमकियों के बाद वह दो पनडुब्बियों को एक अज्ञात लोकेशन पर भेज रहे हैं. वहीं अब भारत ने भी पूर्वी एशिया में अपनी नेवी भेजी है. एक जहाज इस समय सिंगापुर के साथ युद्धाभ्यास में जुटा है. वहीं भारतीय नौसेना के तीन शक्तिशाली युद्धपोत फिलीपींस पहुंच चुके हैं. यह कदम सिर्फ दूर-दराज तक भारतीय नौसेना की मौजूदगी दिखाना नहीं है, बल्कि चीन को चेतावनी भी है. यह दुनिया को संकेत है कि चीन की आक्रामकता से निपटने के लिए भारत अपनी सीमाओं तक ही सीमित नहीं है.
यह सिर्फ सामान्य सैन्य दौरा नहीं, बल्कि दोस्त देशों को यह भरोसा देने की पहल है कि भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता और सहयोग के लिए मजबूती से खड़ा है. भारत के तीन युद्धपोत फिलीपींस पहुंचे हैं. पहला है गाइडेड-मिसाइल डेस्ट्रॉयर INS दिल्ली जो दुश्मन के जहाजों को पलक झपकते नेस्तनाबूद करने की ताकत रखता है. वहीं दूसरा एंटी-सबमरीन वॉरफेयर कॉर्वेट INS किलटन है जो पनडुब्बियों को खोजकर मार गिराने में माहिर है. वहीं तीसरा फ्लीट टैंकर INS शक्ति है जो लंबी समुद्री यात्रा में जरूरी ईंधन और सामान की सप्लाई करता है.
क्या बोला भारत?
इन जहाजों की अगुवाई ईस्टर्न फ्लीट के कमांडर रियर एडमिरल सुशील मेनन कर रहे हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘भारत और फिलीपींस दोनों इंडो-पैसिफिक में स्थिरता और समुद्री सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं. इस तरह की साझेदारी सहयोग और विश्वास को बढ़ाती है. वहीं दूसरी तरफ INS सतपुड़ा सिंगापुर में ‘सिम्बेक्स’ नामक द्विपक्षीय अभ्यास के 32वें संस्करण में हिस्सा ले रहा है. यह भारतीय और सिंगापुर नौसेनाओं के बीच दशकों पुरानी दोस्ती का प्रतीक बन चुका है.
इस अभ्यास में दोनों देशों के नौसैनिक मिलकर समुद्र में युद्धाभ्यास करते हैं, जिसमें संचार के तरीके, संयुक्त ऑपरेशन और रणनीति का अभ्यास शामिल होता है. इसका मकसद है भविष्य में किसी भी संकट की स्थिति में दोनों सेनाएं एक साथ प्रभावी कार्रवाई कर सकें.
भारत आ रहे फिलिपींस के राष्ट्रपति
नेवल न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक फिलीपींस और भारत अगले सप्ताह दक्षिण चीन सागर में अपना पहला संयुक्त समुद्री अभ्यास करेंगे. भारत के युद्धपोत ऐसे समय में पहुंचे हैं जब फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड आर. मार्कोस जूनियर 4 से 8 अगस्त तक भारत की अपनी पहली राजकीय यात्रा पर आएंगे. रिपोर्ट के मुताबिक यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब दोनों देश राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं .