



वॉशिंगटन: अमेरिका ने भारत के नजदीक स्थित अपने सैन्य अड्डे डिएगो गार्सिया में बमवर्षकों और लड़ाकू विमानों की तैनाती को बढ़ा दिया है। इसका खुलासा एक नई सैटेलाइट इमेज में हुआ है। इससे पहले अमेरिका ने बेहद कम मौकों पर ही इस सैन्य अड्डे पर इतनी बड़ी संख्या में वायुसेना के विमानों की तैनाती की है। माना जा रहा है कि यह तैनाती ईरान पर अमेरिकी और इजरायली हमलों के बाद पैदा हुए तनाव को देखते हुए की गई है। ये सभी विमान डिएगो गार्सिया से उड़ान भरकर ईरान, यमन और सीरिया तक बमबारी करने में सक्षम हैं।



क्यों मायने रखती है यह तैनाती?
डिएगो गार्सिया मध्य पूर्व से दक्षिण पूर्व एशिया तक फैले अमेरिकी सैन्य अभियानों के लिए एक महत्वपूर्ण अग्रिम बेस के रूप में कार्य करता है। इसका हिंद महासागर के रणनीतिक स्थान पर बसा होना और व्यापक हवाई क्षेत्र इसे लंबी दूरी के स्ट्राइक मिशन और त्वरित प्रतिक्रिया तैनाती के लिए एक महत्वपूर्ण लॉन्चिंग पॉइंट बनाता है। इस बेस पर अमेरिकी वायुसेना की तैनाती से आशंका जताई जा रही है कि वॉशिंगटन अपने दुश्मनों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार बैठा हुआ है।
नई सैटेलाइट इमेज से पता चला है कि डिएगो गार्सिया में अमेरिकी वायुसेना के कई विमान तैनात हैं। इनमें चार बी-52 रणनीतिक बमवर्षक, छह एफ-15 लड़ाकू जेट और छह केसी-135 हवाई ईंधन भरने वाले टैंकर शामिल हैं। यह जानकारी ओपन-इंटेलिजेंस विश्लेषक एमटी एंडरसन ने एक्स पर दी है। डिएगो गार्सिया ईरान से लगभग 2,200 मील और दक्षिणी चीन से 3,000 मील दूर स्थित है। हालांकि, यहां तैनात हवा में ईंधन भरने वाले टैंकर अमेरिकी विमानों की रेंज को बढ़ा सकते हैं।
अमेरिका ने मार्च के महीने से ही इस एयरबेस पर सैन्य उपकरणों की आवाजाही को बढ़ा दिया था। उस समय सैन्य विशेषज्ञों ने आशंका जताई थी कि अमेरिका ईरान पर हमले के लिए इस सैन्य अड्डे का इस्तेमाल कर सकता है। हालांकि, मई में अमेरिकी वायु सेना ने घोषणा की कि डिएगो गार्सिया में तैनाती के बाद बी-2 स्पिरिट बमवर्षक मिसौरी लौट आए हैं। 13 जून को, अमेरिका ने मिसौरी में व्हाइटमैन एयर फोर्स बेस से उड़ान भरने वाले बी-2 स्टील्थ बमवर्षकों के जरिए ईरान के तीन प्रमुख परमाणु सुविधाओं पर हमला किया था।