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कितना ताकतवर भारत का ‘आकाशतीर’ सिस्टम? हवा में ही दुश्मनों का काम होगा तमाम

दिखाई गई आाकशतीर की ताकत

हाल ही में एक सैन्य अभ्यास में शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने भाग लिया, जिसमें आकाशतीर की एडवांस क्षमताओं को दिखाया गया। सफल प्रदर्शन के बाद एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस प्रणाली की भारतीय सेना की वायु रक्षा के लिए एक परिवर्तनकारी छलांग के रूप में सराहना की। इसे अभूतपूर्व गति और सटीकता के साथ खतरों का जवाब देने के लिए डिजाइन किया गया है।

खतरों का तुरंत जवाब

खतरों का तुरंत जवाब

आकाशतीर की क्षमताओं के बारे में बताते हुए एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने कहा कि सिस्टम आर्मी एयर डिफेंस (एएडी) और भारतीय वायु सेना (आईएएफ) में भूमि-आधारित सेंसर से डेटा को मर्ज करता है, जिससे एक एकीकृत और रीयल-टाइम की तस्वीर पेश करता है। यह सैन्य इकाइयों को अहम जानकारी देता है और समन्वय को बढ़ाता है, जिससे खतरों का तुरंत जवाब दिया जा सकता है।

मैन्युअल डेटा का झंझट खत्म

मैन्युअल डेटा का झंझट खत्म

आकाशतीर की स्वचालित प्रणाली मैन्युअल डेटा का झंझट खत्म हो गया है, जिससे तेजी से बढ़ते हवाई खतरों पर तुरंत प्रतिक्रिया दी जा सकती है। उदाहरण के लिए, सुपरसोनिक गति से उड़ने वाला कोई विमान एक मिनट में 18 किमी. की दूरी तय कर सकता है, ऐसे में आकाशतीर सिस्टम यह सुनिश्चित करता है कि कोई प्रतिक्रिया समय बर्बाद न हो और तुरंत कार्रवाई की जा सके।

चीन के साथ लगती सीमा पर इस्तेमाल

चीन के साथ लगती सीमा पर इस्तेमाल

यह सुविधा उत्तरी और पूर्वी कमान पर चीन के साथ भारत की सीमा पर इकाइयों के लिए महत्वपूर्ण है, जो पहले से ही इस प्रणाली से सुसज्जित हैं। यानी इस सिस्टम की मदद से भारत दुश्मन देश की किसी भी हवाई हिमाकत का तुरंत जवाब दे सकता है। बिना समय गंवाए दुश्मन पर जवाबी हमला किया जा सकेगा।

प्रतिकूल हालत में भी कनेक्टिविटी

प्रतिकूल हालत में भी कनेक्टिविटी

3-डी सामरिक राडार, निम्न-स्तरीय हल्के राडार और आकाश हथियार प्रणाली से डेटा को एकीकृत करके आकाशतीर हवाई क्षेत्र का एक विस्तृत और बहुआयामी परिदृश्य देता है। मजबूत संचार फीचर्स के साथ डिजाइन किया गया आकाशतीर प्रतिकूल हालत में भी कनेक्टिविटी सुनिश्चित करता है। इससे भविष्य के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर भी अपग्रेड हो सकते हैं।

कुल 455 ऐसी प्रणालियों की जरूरत

कुल 455 ऐसी प्रणालियों की जरूरत

सूत्रों के अनुसार, प्रोजेक्ट आकाशतीर को चरणबद्ध ढंग से शामिल करने की प्रक्रिया पहले से ही चल रही है। कुल 455 ऐसी प्रणालियों की जरूरत थी, जिनमें से 107 दी जा चुकी हैं। 105 को मार्च 2025 तक दिए जाने की संभावना है। बची हुई बाकी प्रणालियों को मार्च 2027 तक सौंप दिया जाएगा।

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