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बहुत हो गए पीर, दरगाह.. अतिक्रमण से नाराज हाईकोर्ट बोला- बहाल करिए दिल्ली के ‘फेफड़े’,

नई दिल्‍ली. महरौली इलाके में लगभग 700 साल पुरानी एक मस्जिद को कथित तौर पर बिना किसी पूर्व सूचना के ढहा दिया गया. इसको लेकर विवाद हो गया है. बताया जाता है कि इस मस्जिद का निर्माण सल्‍तनत काल के दौरान किया गया था. उस वक्‍त रजिया सुल्‍तान का शासन चल रहा था. मस्जिद को गिराने को लेकर उठा विवाद अभी थमा भी नहीं था कि महरौली में ही स्थित एक और दरगाह का मामला सामने आ गया है. महरौली इलाके में स्थित आशिक अल्‍लाह दरगाह को लेकर दिल्‍ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई, जिसमें इस प्राचीन ढांचे को गिराने से बचाने का आग्र‍ह किया गया. दिल्‍ली हाईकोर्ट ने इस पर सख्‍त टिप्‍पणी की है. कोर्ट ने कहा कि हमारे देश में पीर, दरगाह, मंदिर बहुत हो गए हैं. संरक्षित स्‍मारकों को छोड़कर वन क्षेत्र या वन भूमि पर किसी भी तरह के निर्माण को अनुमति नहीं दी जा सकती है.

दिल्ली उच्च न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि जंगल ‘दिल्ली के हरित फेफड़े’ हैं. ये प्रदूषण से एकमात्र रक्षक भी हैं. इसलिए उन्हें बहाल किया जाना चाहिए. उच्च न्यायालय ने धार्मिक संरचनाओं के नाम पर अतिक्रमण समेत अनधिकृत निर्माण पर चिंता जताते हुए यह बात कही. हाईकोर्ट ने कहा कि लोग यहां सांस नहीं ले पा रहे हैं और प्रदूषण के कारण मर रहे हैं और किसी को भी वन क्षेत्रों में रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती है और उन्हें बेदखल करने की जरूरत है.

जंगलों को संरक्ष‍ित करने की जरूरत- हाईकोर्ट

दिल्‍ली हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने कहा, ‘जंगल को बहाल करने दीजिए. आज आपको अधिक जंगल कहां मिलेंगे? इसलिए मौजूदा जंगलों को संरक्षित किया जाना चाहिए. ये दिल्ली के हरित फेफड़े हैं. इंसान बनें। समझे कि लोग प्रदूषण के कारण मर रहे हैं. यह हमारा एकमात्र रक्षक है.’

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