



पिछले साल कोरोना वायरस महामारी की भेंट चढ़ा दशहरा त्योहार इस बार देश के विभिन्न हिस्सों में धूमधाम से मनाया गया। विजयादशमी या दशहरा का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।



जगह-जगह रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया गया। हिंदू मान्यता के अनुसार इसी दिन प्रभु श्रीराम ने राक्षस राज रावण का वध किया था। तस्वीरों में देखिए देश के अलग-अलग राज्यों में दशहरा पर्व किस तरह मनाया गया.
पंजाब के अमृतसर में भी लोगों के बीच दशहरा का उत्साह खूब देखने को मिला। यहां भी रावण दहन को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए। रावण का दहन करना अपने अंदर की बुराइयों को खत्म करने का एक संकल्प माना जाता है।
कुल्लू, शिमला समेत विभिन्न स्थानों पर दशहरा त्योहार जोश के साथ मनाया गया। शिमला के प्रसिद्ध जाखू मंदिर में उत्सव मनाया गया।
जाखू में इस बार रावण का पुतला 35 फीट, कुंभकर्ण का 30 और मेघनाद का 25 फीट का था। वहीं, कुल्लू का दशहरा ‘कुल्लू दशहरा’ के नाम से जाना जाता है। यहां प्रभु रघुनाथ की पूजा की गई और झांकी निकाली गई।
बिहार में भी विजयादशमी का त्योहार धूमधाम से मनाया गया। राज्य के विभिन्न इलाकों में रावण दहन तक लोगों ने असत्य पर सत्य की विजय का संदेश बुलंद किया। बिहार का रामायण से गहरा संबंध हैं।
माता सीता का जन्म भी यहीं के सीतामढ़ी जिले में माना जाता है। वहीं, वह स्थान भी दरभंगा जिले में है जहां प्रभु राम ने अहिल्या को शिला रूप में रहने के शाप से मुक्त किया था।
उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में चल रही रामलीला में आज राम रावण युद्ध हुआ और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक पर्व विजयादशमी मनाया गया रावण का पुतला जगह-जगह फूंका गया इसके बाद भगवान राम की झांकी भी निकाली गई।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक ट्वीट में कहा कि असत्य पर सत्य, अधर्म पर धर्म और बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक महापर्व विजयादशमी की सभी प्रदेशवासियों व श्रद्धालुओं को हार्दिक बधाई। समाज में व्याप्त सभी बुराइयों की समाप्ति हेतु संकल्पित हों। जय श्री राम!
विभिन्न स्थानों पर भी दशहरा का पर्व उत्साह के साथ मनाया गया। यह तस्वीर देहरादून में रेस कोर्स स्थित बन्नू स्कूल की है, जहां बुराई के प्रतीक रावण के पुतले का दहन किया गया।
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में भी दशहरा को लेकर लोगों में उत्साह देखने को मिला। यहां विभिन्न स्थानों पर रावण, मेघनाद और कुभकर्ण के छोटे-छोटे पुतलों का दहन किया गया।
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