



बिलासपुर : छत्तीसगढ़ के गांवों में एक रहस्यमयी वृक्ष की चर्चा इन दिनों जोरों पर है, जिसे स्थानीय लोग “सर्पनाशक वृक्ष” कहते हैं. दावा है कि इस विशेष पौधे को घर के पास लगाने से जहरीले सांप भी नजदीक नहीं आते. बिलासपुर जिले के ग्राम तुर्काडीह के ग्रामीण इस पेड़ को सांपों से सुरक्षा का सबसे कारगर उपाय मानते हैं. इस वृक्ष से जुड़े वैज्ञानिक तथ्यों के साथ-साथ धार्मिक मान्यताएं भी इसे और खास बनाती हैं.



सर्पनाशक वृक्ष से भागते हैं जहरीले सांप
बिलासपुर के ग्राम तुर्काडीह में रहने वाले प्रेमलाल माथुर का दावा है कि उन्होंने अपने घर के पास इस विशेष वृक्ष को छह साल पहले कोरबा जिले के जंगलों से लाकर लगाया था. उनका कहना है कि तब से उनके घर में कभी भी कोई जहरीला सांप नहीं देखा गया. खेतों से घिरे होने के बावजूद यह वृक्ष ऐसा प्रभाव डालता है कि सांप घर की परिधि में भी नहीं भटकते.
स्थानीय मान्यता के अनुसार, इस वृक्ष की गंध इतनी तीव्र होती है कि जहरीले सांप इसकी मौजूदगी के आसपास भी नहीं फटकते. प्रेमलाल माथुर बताते हैं कि कई बार सांप इस वृक्ष के नीचे आते हैं तो कुछ ही देर में उनकी मृत्यु हो जाती है. यही कारण है कि आसपास के गांवों के लोग भी इस वृक्ष के पौधे मांग कर ले जाते हैं और अपने घरों में लगाते हैं.
भगवान शिव का रूप माना जाता है यह वृक्ष
इस वृक्ष को लेकर लोगों की गहरी धार्मिक आस्था भी है. ग्रामीण इसे भगवान भोलेनाथ का स्वरूप मानते हैं. मान्यता है कि यह वृक्ष शिवभक्तों की रक्षा करता है और खासकर मासिक धर्म के दौरान महिलाएं इसके पास नहीं जातीं क्योंकि यह वृक्ष पूज्य और पवित्र माना जाता है. ग्रामीणों का विश्वास है कि इसकी पूजा करने से घर में सुख-शांति और सुरक्षा बनी रहती है.
अब गांव-गांव पहुंच रहा है यह पौधा
प्रेमलाल माथुर के अनुसार, अब तक दर्जनों लोग उनके यहां से इस पौधे को लेकर जा चुके हैं और सफलतापूर्वक अपने घरों के पास रोपण कर चुके हैं. वह इसे एक वरदान मानते हैं जो सांपों से सुरक्षा देने के साथ-साथ आध्यात्मिक शांति भी प्रदान करता है. छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचल में सांपों से बचाव के लिए आधुनिक उपायों के साथ-साथ पारंपरिक और प्राकृतिक तरीकों का भी महत्व है. सर्पनाशक वृक्ष न केवल घरों को जहरीले जीवों से सुरक्षित कर रहा है, बल्कि लोगों की धार्मिक भावनाओं से भी जुड़कर एक आस्था का प्रतीक बन चुका है.