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नक्सलियों पर एक्शन के साथ अब छत्तीसगढ़ बांध निर्माण कार्य शुरू करने की तैयारी, 49000 करोड़ का है प्रोजेक्ट

रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार बस्तर में 49000 करोड़ रुपये की सिंचाई और पनबिजली परियोजनाओं को शुरू करने की योजना बना रही है। यह योजना ऐसे समय में आई है जब नक्सल विरोधी अभियान तेजी से चल रहे हैं। इन परियोजनाओं में बोधघाट बांध का निर्माण और इंद्रावती और महानदी नदियों को आपस में जोड़ना शामिल है। सरकार का मानना है कि इससे सिंचाई की सुविधा मिलेगी और क्षेत्र का विकास होगा। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इन परियोजनाओं को ‘राष्ट्रीय दर्जा’ देने का आग्रह किया है ताकि केंद्र सरकार से आर्थिक मदद मिल सके।

सरकार ने दो बड़ी सिंचाई और पनबिजली परियोजनाओं का प्रस्ताव रखा है। यह कदम नक्सलवाद से प्रभावित इलाकों में विकास लाने के लिए उठाया जा रहा है। इन परियोजनाओं से सिंचाई की सुविधा बढ़ेगी और बिजली का उत्पादन भी होगा। छत्तीसगढ़ सरकार के इस कदम से बस्तर क्षेत्र में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।

नक्सली गतिविधियों के कारण आती थी दिक्कत

लगभग 45 साल पहले गोदावरी जल विवाद न्यायाधिकरण ने इंद्रावती नदी से 301 TMC पानी छत्तीसगढ़ (तब मध्य प्रदेश का हिस्सा) को आवंटित किया था। लेकिन राज्य अभी तक इस पानी का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाया है। आवंटित पानी में से केवल 25 TMC का ही उपयोग हो रहा है। अब, बोधघाट परियोजना के तहत 96.27 TMC पानी का उपयोग करने का प्रस्ताव है। नक्सली गतिविधियों के कारण बस्तर में बांध या संबंधित बुनियादी ढांचे का निर्माण नहीं हो सका।

सिंचाई की सुविधा का विस्तार

छत्तीसगढ़ में 8.15 लाख हेक्टेयर फसल क्षेत्र में से केवल 1.36 लाख हेक्टेयर में ही सिंचाई की सुविधा है। राज्य सरकार ने अब 29000 करोड़ रुपये की बोधघाट बांध परियोजना और 20000 करोड़ रुपये की इंद्रावती-महानदी नदी जोड़ो परियोजना का प्रस्ताव रखा है। इस योजना से 7 लाख हेक्टेयर भूमि के लिए सिंचाई की सुविधा मिलने की उम्मीद है।

परियोजनाओं को राष्ट्रीय दर्जा देने की मांग

ये दोनों परियोजनाएं नक्सल प्रभावित जिलों जैसे मुंगेली, राजनांदगांव, कवर्धा, दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर, कांकेर और नारायणपुर में फैली होंगी। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और इन परियोजनाओं को ‘राष्ट्रीय दर्जा’ देने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री साय ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि परियोजना की उच्च लागत को देखते हुए, राज्य के लिए अपने संसाधनों से इसे लागू करना बेहद मुश्किल है। इसलिए, यह अनुरोध किया जाता है कि इन परियोजनाओं को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जाए, ताकि बस्तर के विकास के लिए इनका कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सके।

सैकड़ों गांवों का मिलेगा लाभ

बोधघाट बहुउद्देशीय परियोजना से सिंचाई के अलावा 125 MW बिजली का उत्पादन और सालाना 4,824 टन मछली का उत्पादन होने की उम्मीद है। इससे पीने और औद्योगिक उपयोग के लिए भी पानी मिलेगा। राज्य के प्रस्ताव के अनुसार, 269 गांवों को सीधे लाभ होगा। हालांकि, इसके कार्यान्वयन में कई चुनौतियां हैं। लगभग 10,440 हेक्टेयर भूमि पूरी तरह से जलमग्न हो जाएगी, 28 गांव पूरी तरह से प्रभावित होंगे, और 14 आंशिक रूप से प्रभावित होंगे। इंद्रावती-महानदी नदी जोड़ो परियोजना के लिए केंद्रीय जल आयोग और पर्यावरण और जनजातीय मामलों के मंत्रालयों से भी मंजूरी लेनी होगी।

बस्तर तक पहुंचेगा विकास और रोजगार

इन परियोजनाओं का उद्देश्य बस्तर क्षेत्र में विकास लाना और लोगों के जीवन को बेहतर बनाना है। सरकार का मानना है कि इन परियोजनाओं से सिंचाई की सुविधा में सुधार होगा, बिजली का उत्पादन बढ़ेगा और लोगों को रोजगार मिलेगा। हालांकि, इन परियोजनाओं को लागू करने में कई चुनौतियां हैं, लेकिन सरकार इन चुनौतियों का सामना करने और परियोजनाओं को सफल बनाने के लिए कोशिश कर रही है।

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