



रायपुर: राज्य सरकार ने स्कूलों में पहले चरण में 5,000 शिक्षकों की भर्ती करने का निर्णय लिया है। शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से होगी। भर्ती को लेकर विभागीय स्तर पर तैयारियां प्रारंभ कर दी गई हैं। इसके पहले राज्य सरकार ने स्कूलों व शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया भी तेज कर दी है। बता दें कि, इसके पूरा होने के बाद शिक्षकों के रिक्त पदों का आकलन कर नई भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।



बता दें कि, शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच को बेहतर बनाने की पहल के तहत राज्य सरकार द्वारा शालाओं और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है। इसका उद्देश्य यह है कि जहां जरूरत है वहां शिक्षक उपलब्ध हों और बच्चों को अच्छी शिक्षा, बेहतर शैक्षणिक वातावरण और बेहतर सुविधाएं मिल सकें। युक्तियुक्तकरण का मतलब है स्कूलों और शिक्षकों की व्यवस्था को इस तरह से सुधारना कि सभी स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात संतुलित हो और कोई भी स्कूल बिना शिक्षक के न रहे।
छात्र-शिक्षक अनुपात राष्ट्रीय स्तर से बेहतर
स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने बताया कि जो प्रदेश में छात्र-शिक्षक अनुपात राष्ट्रीय औसत से कहीं बेहतर है। यानी छात्रों की दर्ज संख्या के अनुपात में शिक्षक कम हैं। आपको बता दें कि वर्तमान में प्रदेश के स्कूलों में शिक्षक के 60 हजार से अधिक पद रिक्त हैं।
क्या कहते हैं आंकड़ें
- राज्य के 30,700 प्राइमरी स्कूलों में औसतन 21.84 बच्चे प्रति शिक्षक हैं।
- राज्य के 13,149 मिडिल स्कूलों में 26.2 औसतन बच्चे प्रति शिक्षक हैं।
- 212 प्राइमरी स्कूल अभी भी शिक्षक विहीन हैं।
- 6,872 प्राथमिक स्कूलों में केवल एक-एक शिक्षक ही कार्यरत हैं।
- पूर्व माध्यमिक स्तर पर 48 स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं।
- 255 स्कूलों में केवल एक शिक्षक है।
- 362 स्कूल ऐसे भी हैं जहां शिक्षक तो हैं, लेकिन एक भी छात्र नहीं है।
- शहरी क्षेत्र में 527 स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात 10 या उससे कम है।
- 1,106 स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात 11 से 20 के बीच है।
- 837 स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात 21 से 30 के बीच है।
- 245 स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात 40 या उससे भी ज्यादा है।
166 स्कूलों का होगा समायोजन
शिक्षा विभाग के अनुसार युक्तियुक्तकरण के तहत कुल 10,463 स्कूलों में से सिर्फ 166 का समायोजन होगा। इनमें से ग्रामीण इलाकों के 133 स्कूल ऐसे हैं, जिसमें छात्रों की संख्या 10 से कम है और एक किलोमीटर के अंदर में दूसरा स्कूल संचालित है।