



बीजापुर: “बस्तर, वो कैनवास जिस पर कुदरत ने अपने सबसे सुंदरतम हिस्से को उकेर दिया है और एक प्रश्न स्वर्ग सी सुंदर इस ज़मीन पर सर उठाए पूछता है, सीधे मौत की सज़ा देते हो, वजह क्या है? मुझे बताओ तो सही, मेरा गुनाह क्या है?”, नक्सल हिंसा से प्रभावित बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने 20 दिसंबर को सोशल मीडिया पर जब यह पोस्ट किया होगा, वे नहीं जानते थे कि उनका लिखा एक दिन उन पर ही सिद्ध हो जाएगा।



इस पोस्ट के ठीक 11 दिन बाद नववर्ष के पहले दिन कांग्रेस के अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव सुरेश चंद्राकर और उसके भाई रितेश चंद्राकर व दिनेश चंद्राकर ने सुपरवाइजर महेंद्र रामटेके ने षडयंत्र रचकर सुनियोजित तरीके से मुकेश चंद्राकर की बड़ी ही निर्ममता से हत्या कर दी।
मुकेश की मृत्यु के बाद भी हत्यारों ने इंसानियत की परिभाषा को कलंकित करने कोई कसर नहीं छोड़ी। उसके शव को शौचालय के सेप्टिक टैंक में डालकर ऊपर से कांक्रीट की ढलाई कर दी। हत्यारों के मन में ना कानून का डर था ना अपराध का बोध। परंतु मृत्यु के पहले तक सच को उजागर करने वाले मुकेश की तरह उनकी मृत्यु का सच भी भूमि के नीचे गाड़ दिए जाने के बाद भी आखिरकार बाहर आ ही गया।
इस प्रकरण में अब तक आरोपित रितेश चंद्रकार, उसके बड़े भाई दिनेश चंद्राकर व सुपरवाइजर महेंद्र रामटेके की गिरफ्तारी हो चुकी है। घटना का मास्टरमाइंड सुरेश चंद्राकर अभी फरार है। उसके हैदराबाद में होने की जानकारी मिल रही है। पुलिस की एक टीम सुरेश को पकड़ने हैदराबाद गई हुई है।
भ्रष्टाचार की पोल खोलने का था गुस्सा
पत्रकार मुकेश ने रितेश के बड़े भाई ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के गंगालूर से मिरतुर सड़क निर्माण में हुए भ्रष्टाचार की पोल खोलते हुए एक राष्ट्रीय टीवी चैनल पर समाचार की थी। इसके बाद पीडब्लूडी मंत्री अरुण साव के निर्देश पर इस निर्माण की जांच प्रारंभ हो गई थी। इसी बात को लेकर सुरेश, रितेश व दिनेश का मुकेश से विवाद चल रहा था।
तीनों भाईयों ने मुकेश पर कई तरह से दबाव बनाने का प्रयास किया, पर बात नहीं बनी तो मुकेश की मौत का षडयंत्र ही रच डाला। सुनियोजित तरीके से एक जनवरी को मुकेश को सुरेश के चट्टानपारा स्थित कंस्ट्रक्शन कंपनी के परिसर में खाने पर बुलाया।