



बिलासपुर:- कांकेर जिले की ढेकुना गांव में कभी एक साधारण और सम्मान जनक जीवन जीने का सपना देखने वाली मुनिका जैन की जिंदगी ने अचानक एक ऐसी करवट ली, जिसने उन्हें और उनके परिवार को समाज से बहिष्कृत होने का दंश झेलने पर मजबूर कर दिया. पति से शुरू हुए घरेलू विवाद के कारण मुनिका ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन यही कदम उनके लिए भारी पड़ गया. समाज ने इसे अपने परंपराओं के खिलाफ मानते हुए मुनिका और उनके परिवार को समाज से बाहर कर दिया.



बहिष्कार के बाद मुनिका और उनकी छोटी बेटी को न केवल सामाजिक अपमान सहना पड़ा, बल्कि उनके परिवार के अन्य सदस्यों के जीवन पर भी इसका असर पड़ा. यहां तक कि उनकी बहन के विवाह के प्रस्ताव भी तोड़ दिए गए. जब हर दरवाजा बंद होता दिखा और कोई सहारा नहीं मिला, तब न्याय की उम्मीद में मुनिका ने हाईकोर्ट का रुख किया, जहां उन्होंने समाज में अपनी पुनः स्थापना और न्याय की गुहार लगाई.
पति से विवाद के बाद समाज से बहिष्कृत
मुनिका जैन की शादी लखनपुरी गढ़िया पारा के निवासी राजेश्वर कुमार जैन से हुई थी, जो आईटीबीपी में चाइना बॉर्डर पर तैनात है. शादी के कुछ समय बाद पति-पत्नी के बीच मनमुटाव शुरू हो गया और हालात इतने बिगड़े कि मामला थाने तक जा पहुंचा. मुनिका ने कांकेर थाने में अपने पति के खिलाफ मारपीट और भरण-पोषण को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी.
समाज का बहिष्कार और परिवार पर संकट
पति के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने पर समाज ने इसे स्वीकार नहीं किया और गांव के सरपंच समेत समाज के लोगों ने मुनिका और उसके परिवार को समाज से बहिष्कृत कर दिया. इस बहिष्कार के चलते मुनिका और उसके परिवार पर अनेक परेशानियां आन पड़ी. मुनिका की बहन के लिए भी विवाह के प्रस्ताव तोड़ दिए जाने लगे, जिससे परिवार और अधिक तनाव में आ गया.
हाईकोर्ट में न्याय की गुहार
समाज के बहिष्कार से तंग आकर मुनिका ने अपनी बेटी के साथ न्याय की गुहार लगाते हुए हाईकोर्ट की शरण ली. मामले की प्रारंभिक सुनवाई में ही हाईकोर्ट ने कांकेर के कलेक्टर, एसपी और डडसेना कलार समाज के संभागीय अध्यक्ष को नोटिस जारी कर उनकी भूमिका और कार्रवाई पर जवाब मांगा है.