



जबलपुर। हैदाराबाद से जबलपुर जिले के रैपुरा गांव में एक निजी रेस कोर्स के लिए लाए गए 57 घोड़ों में से आठ की मौत हो गई। पशुपालन विभाग के डॉक्टरों ने इनकी जांच की तो ग्लैंडर्स बीमारी के लक्षण मिले हैं जो कोरोना की तरह हैं।



इसका अब तक न तो कोई इलाज है और न ही वैक्सीन बनी है। इसलिए सभी आठ घोड़ों को बिना पोस्टमार्टम के जमीन में 15 फीट नीचे दफनाया गया। इसके लिए राजस्व विभाग से जमीन चिह्नित कराई गई, ताकि उसके आसपास कोई आ-जा न सके।
हिरास में नेशनल रिसर्च सेंटर में भेजे थे सैंपल
यह पूरा काम ग्लैंडर्स बीमारी के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए प्रोटोकाल के तहत किया गया। घोड़ों में मिले ग्लैंडर्स बीमारी के लक्षण मिलने के बाद इसके सैंपल जांच के लिए हिसार स्थित नेशनल रिसर्च सेंटर भेजे गए थे।
वहां से अभी तक 44 घोड़ों की रिपोर्ट आई है और पांच की बाकी है। 44 घोड़ों की रिपोर्ट निगेटिव आई है, लेकिन इनमें से चार के सैंपल दोबारा भेजे गए हैं। इनमें लक्षण होने की संभावना ज्यादा है। इधर विभाग ने सभी 49 घोड़ों को आइसोलेट कर दिया है, ताकि बीमारी, दूसरे घोड़ों और उनसे जुड़े लोगों तक न पहुंचे।
भोपाल से आई तीन डॉक्टरों की टीम
ग्लैंडर्स बीमारी के लक्षण सामने आने के बाद भोपाल से लेकर दिल्ली और हैदाराबाद तक हड़कंप मच गया है। पशुपालन विभाग की भोपाल स्थित राज्य पशुरोग अन्वेषण प्रयोगशाला से तीन डाक्टरों की टीम जबलपुर पहुंची। इस टीम में डॉ. जयंत तापसे, डॉ. सुनील तुमडिया और डॉ. शाहीकिरण शामिल थे।
तीनों ने पनागर के रैपुरा गांव पहुंचकर घोड़ों के अश्तबल का निरीक्षण किया और घोड़ों से लिए गए सैंपल देखे। इसके बाद उन्होंने नेशनल एक्शन प्रोटोकाल के तहत किए गए कामों की रिपोर्ट तैयार की। इसके बाद टीम लौट गई। इधर घोड़ों की हर हरकत पर नजर रखी जा रही है।
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