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वियतनाम से सऊदी अरब तक… ऑपरेशन सिंदूर के बाद ब्रह्मोस खरीदने की लगी होड़, जानें कौन-कौन से देश कतार में

इस्लामाबाद: ऑपरेशन सिंदूर ने ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम को सुर्खियों में ला दिया है। भारतीय सेना ने पाकिस्तान पर अपने हमलों के दौरान इस क्रूज मिसाइल का बहुत बढ़िया इस्तेमाल किया। पहली बार इस मिसाइल का इस्तेमाल युद्ध में किया गया है। हालांकि भारत ने आधिकारिक तौर पर इसके इस्तेमाल की पुष्टि नहीं की है, लेकिन पाकिस्तान ने ऐसा किया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी रविवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ लखनऊ में एक नई ब्रह्मोस मिसाइल सुविधा के उद्घाटन में भाग लेते हुए ऐसा कहा था। ऐसे में जानें कि कौन-कौन से देश ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने के लिए लाइन में खड़े हैं।

फिलीपींस

भारत ने पहले फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। यह एक ऐतिहासिक सौदा था, जिसे भारत का पहला बड़ा रक्षा निर्यात माना गया। भारत और फिलीपींस ने जनवरी 2022 में अनुमानित 375 मिलियन डॉलर के इस सौदे पर हस्ताक्षर किए थे। इस सौदे के तहत, भारत को फिलीपींस को तीन कोस्टल डिफेंस बैटरियां भेजनी थीं। पहली बैटरी अप्रैल 2024 में डिलीवर की गई, जबकि दूसरी अप्रैल 2025 में डिलीवर होने की उम्मीद है।

भारत ने अप्रैल 2025 में फिलीपींस को ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों की दूसरी बैटरी भेजी थी। द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, “इस बार मिसाइल की दूसरी बैटरी जहाज में भेजी गई है।” इस रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया, “पहली बैटरी अप्रैल 2024 में भारतीय वायुसेना के विमान में भेजी गई थी, जिसमें नागरिक विमान एजेंसियों से सहायता मिली थी। भारी भार को ले जाने वाली लंबी दूरी की उड़ान छह घंटे की नॉन-स्टॉप यात्रा थी, इससे पहले कि उपकरण फिलीपींस के पश्चिमी हिस्सों में पहुंचे।”

इंडोनेशिया

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत इस साल की शुरुआत में इंडोनेशिया को ब्रह्मोस मिसाइल बेचने पर भी विचार कर रहा है। लगभग 450 मिलियन डॉलर के इस सौदे पर पिछले एक दशक से बातचीत चल रही है। इस मामले से जुड़े लोगों ने अखबार को बताया कि देश मिसाइल के लिए वित्तपोषण पर काम कर रहा है। न्यूज18 के अनुसार, इंडोनेशिया क्रूज मिसाइल का उन्नत संस्करण चाहता है।

वियतनाम, मलेशिया और अन्य

वियतनाम अपनी सेना और नौसेना के लिए ब्रह्मोस मिसाइलें चाहता है। भारत के साथ यह सौदा 700 मिलियन डॉलर का होगा। मलेशिया अपने सुखोई Su-30MKM लड़ाकू विमानों और केदाह श्रेणी के युद्धपोतों के लिए ब्रह्मोस मिसाइलों पर नजर गड़ाए हुए है। थाईलैंड, सिंगापुर, ब्रुनेई, ब्राज़ील, चिली, अर्जेंटीना, वेनेजुएला, मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), कतर, ओमान ने भी ब्रह्मोस मिसाइल में अलग-अलग स्तर की रुचि व्यक्त की है।

ब्रह्मोस मिसाइल के बारे में

ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल भारत के मिसाइल शस्त्रागार की आधारशिला है। ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा किया गया है, जो भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और रूस के NPO मशीनोस्ट्रोयेनिया के बीच एक संयुक्त उद्यम है। इसे पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों और जमीन से लॉन्च किया जा सकता है। ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज लगभग 300 किलोमीटर है। यह 200 से 300 किलो वजन का वारहेड ले जा सकती है। यह 2.8 मैक की गति से उड़ती है – जो ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना है। मिसाइल के लगभग 83 प्रतिशत घटक अब स्वदेशी हैं – जो भारत से प्राप्त होते हैं। यह “दागो और भूल जाओ” सिद्धांत पर काम करता है।

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