



नई दिल्ली: सिविल कपड़ों में ‘असली पुलिस’ के सामने वर्दी पहने ‘नकली पुलिस’। सोचिए, क्या सीन रहा होगा। असली पुलिस ने पूछा, आप कहां तैनात हैं? नकली पुलिस ने पूछा, आप कौन हैं पूछने वाले?। जी हां, यह रोचक वाकया उस समय हुआ, जब दिल्ली पुलिस सब इंस्पेक्टर की वर्दी पहने एक शख्स और उसके दो साथियों के सामने रोहिणी स्पेशल स्टाफ की टीम खड़ी थी। बाद में खुलासा हुआ कि ये हनी ट्रैप सिंडिकेट से जुड़े लोग हैं। स्पेशल स्टाफ ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।



आरोपियों की पहचान नीरज, आशीष और योगेश के तौर पर हुई है। तीनों हरियाणा के बहादुरगढ़ के रहने वाले हैं। आरोपियों के पास से दिल्ली पुलिस सब इंस्पेक्टर की वर्दी, आई कार्ड, हनी ट्रैप की वारदात के लिए यूज की जाने वाली दो स्कूटी और तीन मोबाइल फोन बरामद किए हैं। पुलिस आरोपियों से पूछताछ करके इनके सिंडिकेट में शामिल युवती और अन्य की तलाश कर रही है। आरोपियों ने दिल्ली पुलिस की वर्दी पीटीसी झड़ौदा कलां के पास दुकान से खरीदी थी। पुलिस को अंदेशा है कि अब तक अनेकों को ये लोग शिकार बना चुके हैं।
पुलिस ने ऐसे दबोचा
रोहिणी जिला डीसीपी अमित गोयल के मुताबिक, एडिशनल डीसीपी विष्णु कुमार के सुपरविजन में स्पेशल स्टाफ को एक्सटॉर्शन, फ्रॉड व अन्य तरह की वारदातों में शामिल आरोपियों पर निगरानी रखने को कहा गया था। इसी कड़ी में 26 फरवरी को स्पेशल स्टाफ इंस्पेक्टर अमित दहिया और उनकी टीम को हनी ट्रैप से जुड़े लोगों की मूवमेंट के बारे में पता चला। एसआई सुशील, एएसआई रूपेश, सुरेश, रविंदर व अनीता शमशान घाट रोड, विजय विहार के पास पहुंचे। वहां ट्रैप लगाया। टीम को दो स्कूटी पर सवार लोग आते दिखाई दिए। पुलिस ने दिल्ली जल बोर्ड ऑफिस के पास रोका। ग्रे कलर की स्कूटी पर सवार एक आरोपी ने दिल्ली पुलिस सब-इंस्पेक्टर की वर्दी पहन रखी थी। जबकि सफेद स्कूटी पर सवार एक अन्य संदिग्ध के पास बैग था, जिसमें दिल्ली पुलिस सब-इंस्पेक्टर की वर्दी रखी थी।
फर्जी पहचान पत्र भी पेश किया
चूंकि स्पेशल स्टाफ की टीम सिविल कपड़ों में थी। ऐसे में आरोपियों ने पूछताछ करने पर बड़े रौब के साथ खुद को दिल्ली पुलिस से होने का दावा किया। फर्जी पहचान पत्र भी पेश किया। जब स्पेशल स्टाफ ने खुद का परिचय देकर कड़ी पूछताछ की तो उनके बयानों में विरोधाभास नजर आया। स्पेशल स्टाफ की टीम उन्हें आगे वेरिफिकेशन के लिए हिरासत में लेकर ऑफिस पहुंची। जब पूछताछ की गई तो संदिग्धों ने पुलिस को गुमराह करने की भरपूर कोशिश की। लेकिन बाद में कई एक्सटॉर्शन के केस में शामिल होना कबूल कर लिया। तकनीकी जांच से हनी ट्रैप मामलों से जुड़े और पीड़ितों की पहचान करने की कोशिश कर रही है।
पीड़ितों को निशाना बनाते थे
पुलिस अफसर के मुताबिक, आरोपी खुद को रेड करने वाले पुलिस अफसर बताकर पीड़ितों को निशाना बनाते थे। उन लोगों को डराने और एफआईआर दर्ज कर जेल भेजने का खौफ दिखाते। पूछताछ के दौरान यह भी पता चला कि नीरज पहले भी ऐसी ही वारदात में शामिल रहा है। उसपर हरियाणा में आर्म्स एक्ट के तहत भी मामला दर्ज है। योगेश पर भी दो मामले पहले से दर्ज हैं। पुलिस रैकेट में शामिल महिला संदिग्धों की पड़ताल चल रही है। पुलिस अफसर के मुताबिक, ये सभी आरोपी फेसबुक व अन्य सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर ऐसे लोगों को सर्च करते थे जो महिला से फ्रेंडशिप करने के लिए राजी हो जाएं। फिर ये महिला के जरिए संपर्क कराते। दो तीन मीटिंग कराके आपत्तिजनक कंडिशन में फंसाकर रेड करके पैसे वसूलते थे।
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