



भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूरोपीयन यूनियन की अध्यक्ष उर्सुला वोन डेर से मुलाकात करने जा रहे हैं. इस मुलाकात को लेकर जो खबर सामने आ रही है, उसके मुताबिक भारत डेर के सामने कुछ मसलों पर अपनी बात को रखेगा, जो यूक्रेन और रूस युद्ध से जुड़ा हुआ है.



सूत्रों के मुताबिक भारत यूरोपीय यूनियन के यूक्रेन में सैनिक भेजने के फैसले से सहमत नहीं है. भारत ऐसी किसी प्रस्ताव के समर्थन में भी नहीं है. साथ ही भारत यूक्रेन में कोई शांति सेना भी नहीं भेजेगा. कहा जा रहा है कि डेर सामने मोदी इन बातों को स्पष्ट कर देंगे.
रूस के खिलाफ प्रतिबंध को भी नहीं मानेगा
यूक्रेन पर हमला करने की वजह से यूरोपीयन यूनियन ने रूस पर कई तरह के सैंक्शन्स लगा दिए हैं. यूरोपीयन यूनियन की इच्छा है कि रूस के खिलाफ भारत भी सख्त एक्शन ले, लेकिन कहा जा रहा है कि भारत यह स्पष्ट कर देगा कि हम किसी भी ऐसे प्रतिबंध के समर्थन में नहीं हैं.
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन अपने दो दिवसीय आधिकारिक दौरे (27-28 फरवरी) के तहत भारत में हैं. उनके साथ यूरोपीय संघ (EU) के 22 उच्च स्तरीय कमिश्नर भी शामिल हैं. यह पहली बार है जब पूरा EU कॉलेज ऑफ कमिश्नर्स भारत की यात्रा कर रहा है, जो भारत-यूरोपीय संघ के संबंधों में एक ऐतिहासिक मोड़ साबित होने वाला है .
रणनीतिक साझेदारी को मिलेगा नया आयाम
भारत और यूरोपीय संघ के बीच बीते दो दशकों से रणनीतिक साझेदारी चली आ रही है. यह दौरा व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद (TTC) की दूसरी मंत्री स्तरीय बैठक के लिए भी अहम है, जो मई 2023 में ब्रसेल्स में हुई पहली बैठक के बाद आयोजित की जा रही है.
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने दिल्ली पहुंचते ही सोशल मीडिया पर लिखा- दिल्ली में अपने कमिश्नर्स के साथ आई हूं . यह संघर्षों और प्रतिस्पर्धा का दौर है, और ऐसे समय में भरोसेमंद मित्रों की जरूरत होती है. यूरोप के लिए, भारत सिर्फ एक मित्र नहीं बल्कि एक रणनीतिक सहयोगी है. मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस साझेदारी को अगले स्तर तक ले जाने पर चर्चा करूंगी.
वहीं भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने उर्सुला वॉन डेर लेयेन से मुलाकात के बाद कहा- आज दिल्ली में यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन से मुलाकात करके खुशी हुई. यूरोप के साथ भारत की भागीदारी को पुनर्जीवित करने पर उनकी सोच सराहनीय है. इस दौरे के दौरान भारतीय मंत्रियों और यूरोपीय संघ के कॉलेज ऑफ कमिश्नर्स की व्यापक भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि हम भारत-EU संबंधों को और गहरा बनाने को लेकर कितने गंभीर है.