






बकाया प्राप्त करने के लिए जब सारी कोशिशें बेकार हो जाती हैं तो वैसे कारोबारियों के खिलाफ नीलाम वाद की कार्रवाई संचालित की जाती है। राज्य में बड़े खनिज टैक्स बकायेदारों की संख्या सैकड़ों में हैं।
मुख्य सचिव ने जिलों के पदाधिकारियों को दिए आवश्यक निर्देश
खान एवं भू-तत्व विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बैठक के दौरान मुख्य सचिव के संज्ञान में यह बात लाई गई की राज्य में खनिज संपदा का टैक्स न चुकाने वाले बड़े बकायेदार हैं। जो बार-बार नोटिस के बाद भी टैक्स की राशि नहीं चुकाते। इनके खिलाफ नीलाम पत्र वाद की कार्रवाई प्रारंभ की गई है।
सख्ती से निपटने के दिए निर्देश
मुख्य सचिव के निर्देश के बाद विभाग के स्तर पर इस संबंध में जिलों से समन्वय की प्रक्रिया और बड़े बकायेदारों को सूचीबद्ध करने का काम प्रारंभ कर दिया गया है।
सर्टिफिकेट केस में फंसे राजस्व की वसूली का तरीका सुझाएगी समिति
दूसरी ओर, वित्त विभाग में भी हलचल देखने को मिल रही है। वित्त विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन हुआ है, जो सर्टिफिकेट केस में फंसे हुए राजस्व की वसूली का तरीका सुझाएगी। राजस्व परिषद के अध्यक्ष-सह-सदस्य केके पाठक की अनुशंसा पर यह समिति बनाई गई है।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव, राजस्व से संबंधित विभाग जैसे कि स्टांप व निबंधन, वाणिज्य-कर, भू-तत्व एवं खनन, परिवहन के साथ-साथ एसएलबीसी समन्वयक इस समिति के सदस्य बनाए गए हैं। राजस्व पर्षद के सचिव को समिति का सदस्य सचिव बनाया गया है। उल्लेखनीय है कि राज्य में लगभग 3.66 लाख सर्टिफिकेट केस में 4263 करोड़ रुपये फंसे हुए हैं।
राजस्व पर्षद है नोडल एजेंसी:
- सरकार के निर्देश के बाद सर्टिफिकेट केस के निस्तारण में राजस्व पर्षद नोडल एजेंसी बनाई गई है। यह दायित्व मिलते ही राजस्व पर्षद के अध्यक्ष-सह-सदस्य केके पाठक सक्रिय हो गए।
- चयनित बैंकों, विभागों, प्रमंडलीय आयुक्तों और अन्य अधिकारियों संग बैठक कर उन्होंने सर्टिफिकेट केस का निष्पादन प्राथमिकता के आधार पर करने का निर्देश दिया।
- फंसे हुए राजस्व की वसूली का तरीका सुझाने के लिए वित्त विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में एक समिति बनाने की अनुशंसा की।
ओटीएस का सुझाव:
केके पाठक ने राजस्व से संबंधित विभागों को सर्टिफिकेट केस में फंसे मामलों के त्वरित निष्पादन के लिए एकमुश्त समाधान योजना (ओटीएस) लाने का भी सुझाव दिया है। उल्लेखनीय है कि वाणिज्य-कर विभाग पहले से ही ओटीएस लांच कर चुका है।