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ऑपरेशन सिंदूर से भारत को क्या सबक मिला? एयरफोर्स के बड़े अधिकारी ने बताई खास बात

नई दिल्ली : पाकिस्तान की तरफ से आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया। इस ऑपरेशन से भारत को कई अहम सबक मिले। इसके साथ ही सीमा तक पहुंचने से पहले ही संभावित खतरों का पता लगाने के लिए देश के निगरानी दायरे का विस्तार’ करने की आवश्यकता पर जोर देने की बात सामने आ रही है। एक शीर्ष सैन्य अधिकारी ने बुधवार को यहां यह बात कही।

सुब्रतो पार्क में आयोजित एक कार्यक्रम में चीफ आफ इंटीग्रेटिड डिफेंस स्टाफ (सीआईएससी), एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने यह दिखाया है कि स्वदेशी इनोवेशन को अगर उचित तरीके से उपयोग में लाया जाए तो ये अंतरराष्ट्रीय मानदंडों की बराबरी कर सकता है और उनसे आगे भी निकल सकता है।

ऑपरेशन सिंदूर का सबक

अधिकारी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर से सबक मिला है कि ‘आधुनिक युद्ध में टेक्नोलॉजी के कारण दूरी और संवेदनशीलता के बीच के संबंध में मूलभूत परिवर्तन आ गया है। इस सबक को सैन्य रणनीतिकार शायद अब तक पूरी तरह नहीं समझ पाए हैं। उन्होंने कहा कि निगरानी और ईओ (इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स) प्रणाली का क्षेत्र विकसित हो चुका है जो बल बढ़ाने वाला है और अब यह धीरे-धीरे एक आधार बन रहा है जिस पर आधुनिक सैन्य अभियान चलाए जा सकेंगे।

एयर मार्शल दीक्षित ने कहा कि मैंने अपने पूरे करियर में इस परिवर्तन को प्रत्यक्ष रूप से देखा है और आज हम एक क्रांति के मुहाने पर खड़े हैं, जो यह परिभाषित करेगी कि 21वीं सदी में हम शक्ति को कैसे समझते हैं, उसका उपयोग कैसे करते हैं और उसे कैसे पेश करते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हाल के महीनों में इसके पुख्ता सबूत सामने आए हैं।

‘गहन निगरानी’ के महत्व पर जोर

उन्होंने समकालीन युद्ध में ‘गहन निगरानी’ के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इसने समकालिकता को एक नया अर्थ दिया है, पहले क्षितिज तत्काल खतरे की सीमा को चिह्नित करता था, लेकिन आज स्कैल्प, ब्रह्मोस आदि जैसे सटीक-निर्देशित हथियारों ने ‘भौगोलिक बाधाओं को लगभग निरर्थक बना दिया है’।

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने आतंकवादियों के ठिकानों को नष्ट करने के मकसद से पाकिस्तान की सीमा में काफी अंदर तक हमला करने के लिए लंबी दूरी की हथियार प्रणालियों आदि का इस्तेमाल किया था।

पारंपरिक अवधारणाएं अप्रासंगिक

एयर मार्शल दीक्षित ने कहा कि जब हथियार सैकड़ों किलोमीटर दूर स्थित लक्ष्यों पर सटीक निशाना साध सकते हैं, तो सामने, आगे-पीछे, युद्ध क्षेत्र, गहराई वाले क्षेत्र जैसी पारंपरिक अवधारणाएं अप्रासंगिक हो जाती हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह नयी वास्तविकता मांग करती है कि हम अपनी निगरानी का दायरा उससे कहीं अधिक बढ़ाएं जिसकी पिछली पीढ़ियां कल्पना भी नहीं कर सकती थीं।

वह थिंक-टैंक ‘सेंटर फॉर एयर पॉवर स्टडीज’ (सीएपीएस) और ‘इंडियन मिलिट्री रिव्यूज’ (आईएमआर) द्वारा ‘सर्विलांस एंड इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।

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