



नई दिल्ली। देश के पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के खिलाफ राष्ट्रपति को एक शिकायत भेजकर सीबीआइ जांच की मांग गई है। शिकायतकर्ता पटना हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज राकेश कुमार का आरोप है कि कथित तौर पर पूर्व सीजेआइ चंद्रचूड़ ने एक मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने में अतिसक्रियता दिखाई थी।
अवकाश वाले दिन भी अर्जेंट मामलों की सुनवाई हुई
जस्टिस राकेश कुमार ने आठ नवंबर 2024 को राष्ट्रपति को शिकायती पत्र भेजा था। जबकि जस्टिस चंद्रचूड़, सीजेआइ के पद से 10 नवंबर 2024 को सेवानिवृत्त हुए थे। जस्टिस कुमार ने जागरण से खास बातचीत में राष्ट्रपति को शिकायत भेजने और मामले की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की पुष्टि की है।



2019 में हाई कोर्ट में भ्रष्टाचार के बारे में फैसला दिया था
जस्टिस राकेश ने पत्र में आरोप लगाया है कि पूर्व सीजेआइ चंद्रचूड़ ने कथित तौर पर एक जुलाई 2023 को फर्जी दस्तावेज सृजित कर किसी को दोषी ठहराने का प्रयास करने की आरोपित अभियुक्त तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए एक ही दिन में दो बार विशेष पीठ गठित की थी।
शिकायत में कही गई है ये बात
उस पीठ ने सुनवाई की लेकिन पीठ सीतलवाड़ को अंतरिम राहत देने के मुद्दे पर एकमत नहीं हुई और उसने मामला बड़ी पीठ को भेज दिया। विशेष पीठ ने आदेश दिया कि केस सीजेआइ के समक्ष पेश किया जाए ताकि वे सुनवाई के लिए बड़ी पीठ का गठन करें।
अभियुक्त को अंतरिम राहत दी
विशेष पीठ ने रजिस्ट्रार ज्युडिशियल कोतत्काल मामला सीजेआइ के सामने पेश करने का आदेश दिया था। यह पहला आदेश होने के बाद उसी दिन शाम को सीजेआइ ने मामले की सुनवाई के लिए बड़ी पीठ का गठन कर दिया। गठित की गई बड़ी पीठ ने उसी दिन सुनवाई की और अभियुक्त को अंतरिम राहत दी।
राष्ट्रपति को भेजा गया यह पत्र कानून मंत्रालय पहुंचा था
हालांकि जस्टिस कुमार ने पत्र में कहा है कि वह विशेष पीठ द्वारा विवेकाधिकार का इस्तेमाल कर दिए गए आदेश पर कोई सवाल नहीं उठा रहे हैं। उनका सवाल सिर्फ विशेष पीठ गठित करने में अतिसक्रियता दिखाए जाने के संबंध में है। राष्ट्रपति को भेजा गया यह पत्र कानून मंत्रालय पहुंचा था और अब बताया जा रहा है कि वहां से पत्र उचित कार्रवाई के लिए आगे भेजा गया है।
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