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मयूर विहार में 3 मंदिरों को तोड़ने पहुंचा DDA का बुलडोजर, आक्रोशित पुजारी बोले- ‘संभल में मस्जिद…’

दिल्ली के मयूर विहार फेज-2 में तीन मंदिरों को तोड़ने की तैयारी को लेकर जमकर बवाल मचा. वहीं दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी (DDA) की इस डिमोलिशन ड्राइव अनिश्चितकाल के लिए रोक दी गई है. पटपड़गंज विधायक रविंदर सिंह नेगी ने इस ड्राइव को रोकने के लिए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से अनुरोध किया किया था. उनका दावा है कि सीएम के हस्तक्षेप के बाद डीडीए ने अपनी डिमोलिशन ड्राइव रोक दी है.

दरअसल, 25-10-2024 रिलीजियस कमेटी की बैठक में मयूर विहार फेज -2 के एफ-ब्लॉक में बने डीडीए पार्क के तीन मंदिरों को तोड़ने का फैसला लिया गया और ये पूरी कवायद 20 मार्च 2025 तक पूरी करने की बात की गई. तीनों मंदिरों अमरनाथ मंदिर, कालीबाड़ी मंदिर और बदरीनाथ मंदिर शामिल हैं.

मंदिर तो तोड़ने का डीडीए ने लगाया था नोटिस
डीडीए की ओर से कहा गया कि तीनों मंदिर अवैध निर्माण के तहत डीडीए पार्क के ग्रीन एरिया में बनाए गए हैं. इसलिए इन मंदिरों पर बुलडोजर चलेगा. बुधवार (19 मार्च) को डीडीए की ओर से रात में 9 बजे तीनों मंदिर को 20 मार्च को तोड़ने का नोटिस लगा दिया गया. इसके बाद मंदिर के पुजारियों और स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश देखने को मिला और जब सुबह दिल्ली पुलिस, डीडीए के अधिकारी और अतिरिक्त सुरक्षा बलों की टीमें कई बुलडोजर के साथ मंदिर को तोड़ने के लिए डीडीए पार्क पहुंचे तो उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा.

’40 साल पुराना है मंदिर’
स्थानीय लोगों का कहना है कि मंदिर 40 साल पुराना है और अचानक से क्यों तोड़ा जा रहा है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट में मंदिर तोड़ने को रोकने के लिए याचिका लगाई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर समिति को हाईकोर्ट जाने के लिए कहा है.

‘संभल में मस्जिद के नीचे, यहां तो पूरा मंदिर’
वहीं मंदिर के पुजारियों ने कहा, “ये पाकिस्तान और बांग्लादेश नहीं है अगर मंदिर ध्वस्त किया जाएगा तो हम भी उसी के साथ ध्वस्त हो जाएगें. संभल में मस्जिद के नीचे मंदिर निकल रहा तो खुदाई हो रही. ये तो पूरा मंदिर बना हुआ है. उनको क्यों तोड़ा जा रहा है? ये हिंदुत्व के पतन के कारण हो रहा है. दिल्ली शहर में बांग्लादेश जैसा माहौल बन रहा है.”

मयूर विहार फेज 2 के डीडीए पार्क में बने अमरनाथ मंदिर के पुजारी झुनझुन बाबा ने कहा, “इस मंदिर की कश्मीरियों ने स्थापना की थी. धूमधाम से पूजा होती है. मंदिर 40 सालों से भी ज्यादा पुराना है. जब मंदिर बना तब डीडीए कहां था? अब मंदिर क्यों तोड़वा रहें. पहले भी तो अफसर रहे होंगे. हमारा बिजली बिल बना हुआ है. हमारा पता भी यही है. हम 2008 से मंदिर में हैं. डीडीए ऑफिस से परमिट लेकर पूजा करते हैं. 22 तारीख को बड़ी पूजा होगी.”

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