



नई दिल्ली. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के लिए सिरदर्द बनी कच्चे तेल की कीमतों को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि उनके दूसरे कार्यकाल के साथ अमेरिका का स्वर्णिम युग शुरू हो गया है और जल्द ही पूरी दुनिया अधिक शांतिपूर्ण और समृद्ध होगी. वह सऊदी अरब और ओपेक (तेल निर्यातक देशों के संगठन) से कच्चे तेल की कीमतें कम करने के लिए कहेंगे. अगर कच्चे तेल की कीमत नीचे आती है तो यह भारत के लिए बहुत राहत की बात होगी, क्योंकि भारत के आयात बिल में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी क्रूड की ही रहती है.



डोनाल्ड ट्रंप ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की वार्षिक बैठक को संबोधित किया. उन्होंने कहा, ‘अगर कच्चे तेल की कीमतें कम होती हैं तो रूस-यूक्रेन युद्ध तुरंत समाप्त हो जाएगा.’ ट्रंप ने हाल में किए गए अपने फैसलों का बचाव करते हुए कहा कि उनके प्रशासन ने चार दिनों में वह हासिल कर लिया जो अन्य सरकारें चार साल में भी हासिल नहीं कर सकीं. राष्ट्रपति के तौर पर उन्होंने 20 जनवरी को शपथ ग्रहण किया था और इसी दिन पांच दिवसीय डब्ल्यूईएफ की वार्षिक बैठक भी शुरू हुई थी.
यादगार होगा हमारा दूसरा कार्यकाल
ट्रंप ने कहा, ‘अमेरिका का स्वर्णिम युग शुरू हो गया है, हमारा देश जल्द ही पहले से अधिक मजबूत, एकजुट और समृद्ध होगा. इससे पूरी दुनिया अधिक शांतिपूर्ण और समृद्ध नजर आएगी. हमने उन उपायों के बारे में घोषणाओं की पहल कर दी है, जो आने वाले कार्यकाल में किए जाएंगे. हमारा दूसरा कार्यकाल अमेरिका के इतिहास में यादगार रहेगा, क्योंकि सबसे बड़ी प्राथमिकता अपने देश को एक बार फिर दुनिया की अगुवाई करने के लिए तैयार करेंगे.’
अमेरिका खुद देगा भारत को तेल
ट्रंप प्रशासन की वापसी के बाद भारत को इस बात की भी उम्मीद जगी है कि उसे अमेरिका से भी ज्यादा कच्चा तेल मिलेगा. पिछले दिनों केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि रूस से तेल खरीद में धीरे-धीरे कमी आ रही है और इसकी भरपाई हम अमेरिका से तेल खरीद के जरिये करेंगे. अभी दुनिया के 29 देश भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति करने के लिए तैयार हैं.
80 डॉलर के करीब है कच्चा तेल
कच्चे तेल का भाव एक समय तो 70 डॉलर से नीचे चला गया था लेकिन अमेरिका की ओर से रूस पर फिर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद इसकी कीमतें एक बार फिर 80 डॉलर के आसपास घूमने लगी हैं. ऐसे में डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान काफी राहत देने वाला है कि वे ओपेक देशों से कच्चे तेल की कीमतों में कमी लाने के लिए कहेंगे. भारत अभी अपनी जरूरत का 85 फीसदी क्रूड बाहर से मंगाता है, जिस पर सालाना करीब 9 लाख करोड़ रुपये का खर्चा आता है.
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