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यहां सजता है भारत का ‘बम बाजार’, ग्रेनेड-गोले खरीदने जर्मनी, स्‍पेन और ब्राजील से आते हैं लोग

नई दिल्‍ली. भारत की ‘विस्‍फोटक राजधानी’ नागपुर का ‘बम बाजार’ आजकल खूब गुलजार है. रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास युद्ध के बाद से ही दुनियाभर में गोला-बारूद की बढ़ी मांग ने भारत की विस्‍फोटक बनाने वाली कंपनियों की चांदी कर दी है. पिछले तीन महीनों में, ही 900 करोड़ रुपये के गोले, रॉकेट और अन्‍य विस्‍फोटकों का निर्यात नागपुर से किया गया है. वहीं, अभी भी कंपनियों के पास करीब 3,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर हैं. उद्योग के सूत्रों के अनुसार, कच्चे विस्फोटक पाउडर की भी जबरदस्‍त मांग है. नागपुर से विस्‍फोटक खरीदने बुल्गारिया, स्पेन, जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका, वियतनाम, पोलैंड, ब्राज़ील और सऊदी अरब से ज्‍यादा खरीदार आ रहे हैं. इन देशों में कोई संघर्ष नहीं है, फिर भी ये देश युद्ध स्तर पर गोला-बारूद का संग्रह कर रहे हैं.

नागपुर के बाहरी इलाके में बनी एक 30 किलोमीटर लंबी सड़क पर विस्‍फोटक बनाने वाली ज्‍यादातर कंपनियों के ऑफिस हैं. यहां दुनिया के कोने-कोने से लोग विस्‍फोटक खरीदने आ रहे हैं. इस साल, नागपुर से निर्यात सूची में एक नई श्रेणी शामिल की गई है- बम और ग्रेनेड. अप्रैल से जून तक नागपुर से 770 करोड़ रुपये के बम निर्यात किए गए. पिछले दो वर्षों में पड़ोसी चंद्रपुर जिले से भी अच्‍छा-खासा गोला-बारूद निर्यात हुआ है. पिछले वित्तीय वर्ष में, चंद्रपुर से 458 करोड़ रुपये के बमों की खेप भेजी गई थी. इस साल अप्रैल से जून तक जिले से 171 करोड़ रुपये के निर्यात हुए हैं.

होवित्‍जर के गोलों की खूब मांग
टाइम्‍स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, नागपुर में बनाए जाने वलो होवित्‍जर तोप के लिए बनाए जाने वाले 155 मिमी कैलिबर के गोलों और कंधे पर रखकर दागी जाने वाली रॉकेट के 40 मिमी के गोलों की भारी मांग है. सूचीबद्ध कंपनियों, मझोली सहायक इकाइयों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को खूब ऑर्डर मिल रहे हैं.

ऐसे होता है निर्यात
किसी भी खरीदार को गोला-बारूद ‘एंड यूज सर्टिफिकेट’ के आधार पर ही बेचा जाता है. खरीदार से मिला यह सर्टिफिकेट कंपनियां भारत सरकार के पास भेजती है. सरकार की मंजूरी के बाद ही गोला-बारूद निर्यात किया जाता है. नागपुर की विस्‍फोटक निर्माता कंपनियों का कहना है कि यहां से किसी युद्धरत देश को एक भी गोला-बारूद की आपूर्ति नहीं की जा रही है.

इन पीएसयू की हुई चांदी
गोले-बारूद की बढ़ी मांग से निजी कंपनियों के साथ ही यंत्र इंडिया लिमिटेड और म्‍यूनिशन इंडिया लिमिटेड जैसे सार्वजनिक उपक्रमों की भी चांदी हो गई है. म्यूनिशन इंडिया लिमिटेड (एमआईएल), के चंद्रपुर और भंडारा में ऑर्डनेंस फैक्ट्री हैं, जो गोलों में विस्फोटक भरती हैं. यंत्र इंडिया लिमिटेड भी गोले बनाती है. कारगिल युद्ध के दौरान भी कंपनी ने बोफोर्स तोप के लिए गोले बनाए थे.

कच्‍चे माल की भी खूब मांग
नागपुर की आयुध निर्माण इकाइयों को न केवल गोले और रॉकेट बनाने के ऑर्डर मिल रहे हैं, बल्कि यहां बने कच्‍चे माल की भी खूब मांग है. निजी क्षेत्र की कंपनी सोलर इंडस्ट्रीज और सरकारी कंपनी एमआईएल एचएमएक्स, आरडीएक्स और टीएनटी जैसे विस्‍फोटकों का खूब निर्यात कर रही हैं. यह कच्चा पाउडर यूरोप, सुदूर पूर्व और पश्चिम एशिया में हथियार कंपनियों को बेचा जा रहा है.

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