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ट्रेन में मैडम मुस्कुरा कर बढ़ाती थी टिफिन, पल भर में फंस जाता था शिकार, और यूं पूरी होती थी अजब खेल की गजब कहानी

नई दिल्ली: ट्रेन में जब भी हम यात्रा करते हैं तो यह सोचते हैं कि हमारी यात्रा अच्छी हो. कई लोग घर से निकलते वक्त भगवान से कामना करते हैं कि उनकी यात्रा शुभ हो. ट्रेन में यात्रा करने के दौरान हम सहयात्री के साथ जान-पहचान भी बनाते हैं. साथ ही खाने का सामान भी शेयर करते हैं. हालांकि इंडियन रेलवे साफ कहता है कि ट्रेन में अनजान लोगों से लेकर कुछ भी ना खाएं. लेकिन इसके बाद भी हम लोगों के साथ खाना शेयर करते हैं. ऐसी ही एक घटना घटी है जिसे पढ़कर आपके होश उड़ जाएंगे. एक ऐसे ही परिवार का पर्दाफाश हुआ है. जो ट्रेन में यात्रा के दौरान लोगों को खाना खिलाकर कांड कर देता था. आइए जानते हैं उनकी पूरी कहानी.

पहली नजर में, वे एक आदर्श परिवार की तरह लगते थे, जो उत्साहपूर्वक छुट्टी मनाने जाते थे. उनकी मिलनसार मुस्कान और बेपरवाह हंसी रेलवे स्टेशन की भीड़ में घुलमिल जाती थी. अपने गंतव्य तक पहुंचने के दौरान, वे अक्सर अपने टिफिन खोलते थे और साथी यात्रियों के साथ खाना साझा करते थे, जिससे उनकी छवि आम यात्रियों जैसी बन जाती थी. ट्रॉली बैग और बैकपैक से युक्त उनके सामानों से लगता था कि वह छुट्टी पर जा रहे हों.

टिफिन बढ़ाने के पीछे होता था खतरनाक मकसद
हालांकि इन सब की पीछे एक भयावह सच्चाई छिपी होती थी. अनीता, उर्फ ​​मनो, 45, अमन राणा, 26, और एक 16 वर्षीय लड़की वे नहीं थे जो वे लगते थे. कथित तौर पर उनके मासूम व्यवहार ने ड्रग तस्करी के उनके छल को छुपा दिया. वे अक्सर अपने टिफिन खोलते थे और साथी यात्रियों के साथ खाना शेयर करते थे, इससे वे आम यात्रियों की छवि पेश करते थे.

हालांकि, दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा नेटवर्क पर कार्रवाई किए जाने के कारण ओडिशा और दिल्ली के बीच उनकी लगातार यात्रा की योजना विफल हो गई. पुलिस ने न केवल उन्हें बल्कि नेटवर्क के चार अन्य सदस्यों को भी लगातार अभियानों में 400 किलोग्राम ड्रग्स के साथ गिरफ्तार किया. विशेष पुलिस आयुक्त देवेश श्रीवास्तव की अगुआई में कवच कोड नाम से एक अभियान के तहत इस मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया गया. एडिशनल सीपी संजय भाटिया और डीसीपी सतीश कुमार की टीम ने तस्करों के काम करने के तरीके, उनके द्वारा तय किए गए रास्तों और उन्हें तस्करी की आपूर्ति करने वाले स्रोत का बारीकी से अध्ययन किया. इस सप्लाई चेन के अंतिम यूजर कॉलेज और स्कूली छात्र थे.

कैसे मिली क्राइम ब्रांच को सफलता
पहली सफलता तब मिली जब क्राइम ब्रांच को संदिग्ध परिवार की यात्रा योजनाओं के बारे में खुफिया जानकारी मिली, जिस पर वे नजर रख रहे थे. एक गुप्त सूचना के आधार पर क्राइम ब्रांच की एनआर-II यूनिट के एसीपी नरेंद्र बेनीवाल और इंस्पेक्टर संदीप तुशीर ने शकूर बस्ती रेलवे स्टेशन के पास जाल बिछाया.

यह ऑपरेशन एक थ्रिलर की तरह सामने आया, जिसमें आरोपी बिना किसी पूर्व सूचना के पकड़े गए. जब ​​पुलिस ने फर्जी पारिवारिक मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया, तो उन्होंने 41.5 किलोग्राम बढ़िया क्वालिटी का गांजा जब्त किया, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करीब 50 लाख रुपये है.

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