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‘एक देश, एक चुनाव’ पर मोदी सरकार की मुहर, जानिए कैसे बदल जाएगा वोटिंग का पूरा सीन

नई दिल्ली: ‘एक देश, एक चुनाव’ पर मोदी सरकार ने मुहर लगा दी है. बुधवार को मोदी कैबिनेट ने देश में सभी चुनाव एक साथ करवाने के लिए बनी रामनाथ कोविंद कमिटी की रिपोर्ट के पास कर दिया. इसके बाद देश में ‘एक देश, एक चुनाव’ की राह से सस्पेंस दूर हो गया है. पिछले दिनों गृह मंत्री अमित शाह ने भी साफ किया था कि मोदी सरकार के इसी कार्यकाल में देश का यह सबसे बड़ा चुनाव सुधार लागू हो जाएगा. मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अध्यक्षता में एक समिति बनाई थी. रामनाथ कोविंद कमिटी को जिम्मेदारी दी गई थी क कि वह देश मे एक साथ चुनाव करवाने की संभावनाओं पर रिपोर्ट दे. समिति ने अपनी रिपोर्ट इस साल मार्च में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी थी. बुधवार को मोदी कैबिनेट की बैठक में रिपोर्ट पर चर्चा की गई और ने सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दे दी गई.

कैबिनेट की मंजूरी के बाद अब आगे क्या
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि कमिटी की सिफारिशों पर देश की सभी मंचों पर इस पर चर्चा की जाएगी. सभी नौजवानों, कारोबारियों, पत्रकारों समेत सभी संगठनों से इस पर बात होगी. इसके बाद इसे लागू करने के लिए ग्रुप बनाया जाएगा. फिर कानूनी प्रक्रिया पूरी कर इसे लागू किया जाएगा।

कमिटी की क्या क्या सिफारिशें-

  1. पहले चरण में लोकसभा के साथ सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव हों
  2. दूसरे चरण  में लोकसभा-विधानसभा के साथ स्थानीय निकाय चुनाव हों
  3. पूरे देश मे सभी चुनावों के लिए एक ही मतदाता सूची होनी चाहिए
  4. सभी के लिए वोटर आई कार्ड भी एक ही जैसा होना चाहिए

गृह मंत्री भी कर चुके हैं एक देश एक चुनाव की वकालत

इस दौरान भी केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि इसी कार्यकाल में एक देश, एक चुनाव लागू करेंगे. बता दें कि बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में भी इसका वादा किया था. हाल ही में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भी पीएम मोदी ने अपने भाषण में भी एक देश एक चुनाव का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था कि  पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में समिति बनाई गई थी जिसने अपनी रिपोर्ट दे दी है. इस कार्यकाल में एक देश एक चुनाव होगा.

लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ बात कराने की  बात कही जा रही है. हालांकि कई राजनैतिक एक देश एक चुनाव के पक्ष में नहीं है इसलिए वो नहीं चाहते कि एक देश एक चुनाव हो. वहीं मौजूदा सरकार के एजेंडे में एक देश एक चुनाव शामिल है और इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार की तरफ से कमेटी बनाई गई. कमेटी ने अपनी जो रिपोर्ट सौंपी है, उसी को कैबिनेट की तरफ से मंजूरी मिल गई है. हालांकि इसके लागू होने की लंबी प्रक्रिया है.

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