



मिलाई के इंडियन कॉफी हाउस में एक महत्वपूर्ण शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया, जिसका आयोजन World Human Rights Council दद्वारा किया गया। इस अवसर पर कई पठाधिकारियों ने शपथ ग्रहण की और साथ ही सर्टिफिकेट और आई कार्ड वितरण भी सम्पन्न हुआ। यह कार्यक्रम मानव अधिकारों की रक्षा और संवर्धन के प्रति संस्था की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।



आज के वर्तमान समय में मानव अधिकारों की रक्षा केवल कानून तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्द्देश्य समाज के हर जरूरतमंद वर्ग तक पहुँच सुनिश्चित करना है। मानव अधिकारों का मूल उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति को समानता, सम्मान, शिक्षा, स्वास्थ्य और जीविका का अधिकार देना है।
World Human Rights Council एक समर्पित संस्था है जो मानव अधिकारों के उल्लंघन को रोकने, जागरुकता फैलाने और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए काम करती है। इस संस्था के छत्तीसगढ़ राज्य अध्यक्ष कुलवंत सिंह, राज्य वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुशील कुमार झा, तथा राज्य उपाध्यक्ष डॉ. मूलचंद जैन के नेतृत्व में यह कार्य निरंतर प्रभावी ढंग से जारी है।
मानव अधिकार संस्थाओं का मुख्य कार्य है मानव अधिकारों की रक्षा करना, उल्लंघर्ना की जांच करना, सरकार को सुधार हेतु सुझाव देना, और आम जनता को जागरुक बनाना। इनके माध्यम से पीड़ितों को न्याय मिलता है और मानव गरिमा कीभी सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
इसी कड़ी में विद्यालयों में बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य परीक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाता है, अनाथाश्रमों की सहायता,शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 6 से 14 वर्ष के बको मुक्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार।
विकलांग व्यक्तियों का अधिकार अधिनियम, 2016: दिव्यांगजनों को समान अवसर, शिक्षा, रोजगार और जीवन की सुविधाएं प्रदान करना।
ये अधिनियम एवं संगठन मिलकर मानव अधिकारों के संरक्षण, उल्लंघन रोकने और समाज में न्याय एवं समानता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं। मानव अधिकार केवल लिखित शब्द नहीं, बल्कि उनका व्यवहारिक क्रियान्वयन आवश्यक है।
हर नागरिक की भागीदारी, संवेदनशीलता और जवाबदेही ही सशक्त लोकतंत्र की नींव होती है। जब समाज के सभी वर्ग मिलकर मानव अधिकारों की रक्षा के लिए कार्य करते हैं, तभी हम एक न्यायपूर्ण और समान समाज की ओर बढ़ सकते हैं।
यह सभी प्रयास न केवल सराहनीय हैं, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा भी है। हमें चाहिए कि मानव अधिकारी की रक्षा को अपने जीवन का मूल उद्देश्य बनाएं और हर संभव मदद करें ताकि हर व्यक्ति को उसका अधिकार मिले और सभी को समान अवसर प्राप्त हो।World Human Rights Council, छत्तीसगढ़,State President: कुलवंत सिंह,State Sr. Vice President: सुशील कुमार झा,State Vice President: डॉ. मूलचंद जैन गरीबों की मदद, विकलांगों को सहारा देना, उन्हें आत्मनिर्भर बनाना और बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करना शामिल है। ये सभी कार्य मानव अधिकारों को जमीनी स्तर पर साकार करते हैं और समाज में समता, न्याय एवं मानवता को सुदृढ़ करते हैं।
भारत में मानव अधिकारों की रक्षा हेतु कई महत्वपूर्ण अधिनियम बनाए गए हैं, जिनमें प्रमुख है:
मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993: राष्ट्रीय एवं राज्य मानव अधिकार आयोगों की स्थापना, उल्लंघन की जांच एवं सुधार की सिफारिशें।
बाल श्रम निषेध और विनियमन अधिनियम, 1986: 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी रोकना और शिक्षा का अधिकार देना।
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005: महिलाओं को शारीरिक, मानसिक, यौन एवं आर्थिक हिंसा से सुरक्षा।
अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989: दलितों और जनजातीय लोगों के खिलाफ अत्याचारों को रोकना।
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005: सरकारी सूचनाओं तक नागरिकों की पहुँच और पारदर्शिता बढ़ाना।
न्यूनतम वेतन अधिनियम, 1948: कामगारों को न्यूनतम वेतन सुनिश्चित करना।शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 6 से 14 वर्ष के बको मुक्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार।
विकलांग व्यक्तियों का अधिकार अधिनियम, 2016: दिव्यांगजनों को समान अवसर, शिक्षा, रोजगार और जीवन की सुविधाएं प्रदान करना।
ये अधिनियम एवं संगठन मिलकर मानव अधिकारों के संरक्षण, उल्लंघन रोकने और समाज में न्याय एवं समानता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं। मानव अधिकार केवल लिखित शब्द नहीं, बल्कि उनका व्यवहारिक क्रियान्वयन आवश्यक है।
हर नागरिक की भागीदारी, संवेदनशीलता और जवाबदेही ही सशक्त लोकतंत्र की नींव होती है। जब समाज के सभी वर्ग मिलकर मानव अधिकारों की रक्षा के लिए कार्य करते हैं, तभी हम एक न्यायपूर्ण और समान समाज की ओर बढ़ सकते हैं।
यह सभी प्रयास न केवल सराहनीय हैं, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा भी है। हमें चाहिए कि मानव अधिकारी की रक्षा को दिए अपने जीवन का मूल उद्देश्य बनाएं और हर संभव मदद करें ताकि हर व्यक्ति को उसका अधिकार मिले और सभी को समान अवसर प्राप्त हो।