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यूरिक एसिड को कम करने में रामबाण साबित होती हैं ये आयुर्वेदिक चीजें, जानिए इनका कैसे करते हैं सेवन

शरीर में यूरिक एसिड का बढ़ना, कई परेशानियों का कारण बन जाता है। यूरिक एसिड के उच्च स्तर को ‘हाइपरयूरिसीमिया’ कहा जाता है। इसके कारण शरीर के जोड़ों में गाउट का विकास होने लगता है। गाउट किसी गांठ की तरह महसूस होती है, जिसमें तेज दर्द होता है। कई बार इसमें सूजन भी आ जाती है। लापरवाही करने पर यह गठिया का कारण भी बन सकता है। यह गुर्दे में पथरी का भी एक प्रमुख कारण है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि 45 की उम्र के बाद आप यूरिक एसिड की नियमित जांच करवाएं।

ऐसे बचें यूरिक एसिड के उच्च स्तर से

यूरिक एसिड का स्तर कम करने का सबसे अहम और आसान तरीका है प्यूरीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कम करना। दालें, फलियां, राजमा, छोले, लाल मांस, समुद्री भोजन, शराब और शक्कर युक्त पेय पदार्थों में प्यूरीन की मात्रा ज्यादा होती है। ऐसे में इनका सेवन सीमित करें। इनकी जगह आप अच्छे विकल्प चुनें। अपने आहार में फल, सब्जियां और साबुत अनाज जरूर शामिल करें। इसी के साथ आप आयुर्वेद की मदद से भी यूरिक एसिड का खात्मा कर सकते हैं। खास बात ये है कि इस हर्बल उपचार का कोई नुकसान नहीं है।

आयुर्वेद बनेगा मददगार

आयुर्वेदिक उपचार से यूरिक एसिड का स्तर कम किया जा सकता है। आयुर्वेद में शरीर के संतुलन और सामंजस्य पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इस चिकित्सा पद्धति के अनुसार शरीर में तीन दोष होते हैं, वात, पित्त और कफ। हर बीमारी के पीछे एक दोष होता है। इन दोषों के आधार पर ही बीमारियों का पता लगाया जाता है और फिर उसका उपचार किया जाता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ना, गाउट और गठिया को ‘वात रक्त’ कहा जाता है। ऐसे में इस परेशानी को वात दोष से जोड़ा गया है।

शरीर में यूरिक एसिड का बढ़ना, कई परेशानियों का कारण बन जाता है। यूरिक एसिड के उच्च स्तर को ‘हाइपरयूरिसीमिया’ कहा जाता है। इसके कारण शरीर के जोड़ों में गाउट का विकास होने लगता है। गाउट किसी गांठ की तरह महसूस होती है, जिसमें तेज दर्द होता है। कई बार इसमें सूजन भी आ जाती है। लापरवाही करने पर यह गठिया का कारण भी बन सकता है। यह गुर्दे में पथरी का भी एक प्रमुख कारण है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि 45 की उम्र के बाद आप यूरिक एसिड की नियमित जांच करवाएं।

ऐसे बचें यूरिक एसिड के उच्च स्तर से

यूरिक एसिड का स्तर कम करने का सबसे अहम और आसान तरीका है प्यूरीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कम करना। दालें, फलियां, राजमा, छोले, लाल मांस, समुद्री भोजन, शराब और शक्कर युक्त पेय पदार्थों में प्यूरीन की मात्रा ज्यादा होती है। ऐसे में इनका सेवन सीमित करें। इनकी जगह आप अच्छे विकल्प चुनें। अपने आहार में फल, सब्जियां और साबुत अनाज जरूर शामिल करें। इसी के साथ आप आयुर्वेद की मदद से भी यूरिक एसिड का खात्मा कर सकते हैं। खास बात ये है कि इस हर्बल उपचार का कोई नुकसान नहीं है।

आयुर्वेद बनेगा मददगार

आयुर्वेदिक उपचार से यूरिक एसिड का स्तर कम किया जा सकता है। आयुर्वेद में शरीर के संतुलन और सामंजस्य पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इस चिकित्सा पद्धति के अनुसार शरीर में तीन दोष होते हैं, वात, पित्त और कफ। हर बीमारी के पीछे एक दोष होता है। इन दोषों के आधार पर ही बीमारियों का पता लगाया जाता है और फिर उसका उपचार किया जाता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ना, गाउट और गठिया को ‘वात रक्त’ कहा जाता है। ऐसे में इस परेशानी को वात दोष से जोड़ा गया है।

त्रिफला है यूरिक एसिड का रामबाण इलाज

आयुर्वेद में यूरिक एसिड के स्तर को कम करने के लिए कई जड़ी-बूटियां हैं। उन्हीं में से एक है त्रिफला। त्रिफला तीन भारतीय औषधीय जड़ी-बूटियों हरड़, बहेड़ा और आंवला का मिश्रण है। ये तीनों की बहुत ही शक्तिशाली और गुणकारी जड़ी-बूटियां हैं और जब ये तीनों एक साथ मिल जाती हैं तो यह मिश्रण तिगुना गुणकारी हो जाता है। इसे सदियों से आयुर्वेदिक चिकित्सा में विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता रहा है। क्योंकि इसे आयुर्वेद के तीनों दोषों का इलाज माना जाता है।

1. सूजनरोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुण

त्रिफला में सूजनरोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। इसके नियमित सेवन से शरीर की सूजन कम होने में मदद मिलती है। यूरिक एसिड के कारण शरीर में आई सूजन को त्रिफला तेजी से कम करता है।

2. गुर्दे के लिए अच्छी

​जब शरीर में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ता है तो कई समस्याएं अपने आप बढ़ने लगती हैं। इन्हीं में से एक है गुर्दे की पथरी। हालांकि त्रिफला आपको इस परेशानी से भी राहत दिलाता है। यह शरीर से यूरिक एसिड को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे पथरी की समस्या दूर हो सकती है।

3. नियंत्रित रहेंगी रक्त शर्करा

त्रिफला रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, जो यूरिक एसिड के स्तर को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसी के साथ यह वजन प्रबंधन में सहायक है। रक्त शर्करा और ज्यादा वजन के कारण भी यूरिक एसिड बढ़ने की आशंका रहती है।

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