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‘अपनी सरकारों का इतिहास पढ़िए, संविधान भक्षक कभी रक्षक नहीं बन सकते…’ललन सिंह ने प्रियंका-राहुल को खूब सुनाया

नई दिल्ली/मुंगेर: संविधान दिवस के मौके पर लोकसभा में चर्चा के दौरान मुंगेर से जेडीयू सांसद और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन ऊर्फ ललन सिंह कांग्रेस पार्टी को खूब निशाने पर लिया। ललन सिंह ने कहा कि जब हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान का निर्माण किया तब उसमें दो पहलू की बात कही गई। संविधान का एक पहलू यह है जो इस समाज के सभी वर्गों के लिए सामाजिक और आर्थिक उन्नति का रास्ता प्रशस्त करता है। तो दूसरी तरफ संविधान के साथ छेड़छाड़ करने वालों के लिए उसी में प्रावधान है कि उनको कहां जगह मिले।

ललन सिंह ने आगे कहा कि इस देश में कई लोगों ने बहुत लंबा शासन किया है। नरेंद्र मोदी ने पिछले 10 साल में इस देश में जो भी अच्छे काम किए हैं उसे राजनाथ सिंह ने विस्तार से बताया है। उन कामों में एक मूलमंत्र जो इसी संविधान से निकला है जो है- ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास। यही हमारे संविधान का मूलमंत्र है। यह बात इनको (विपक्ष) को कहां समझ में आएगा।’

उन्होंने कहा कि इन लोगों ने इतने लंबे समय तक देश में राज किया, जिस दौरान इन्होंने सैकड़ों बार संविधान की धज्जियां उड़ाई। यही कारण है कि आज संविधान ने उन्हें वहां बैठा दिया, जहां 15 साल से टहल रहे हैं। ये संविधान को ऐसा इस्तेमाल करते थे। प्रियंका गांधी का नाम लिए बगैर ललन सिंह ने कहा कि कांग्रेस की महिला सांसद ने अपने पहले भाषण में बेहद चुटीले और व्यंगात्मक अंदाज में इस सरकार और प्रधानमंत्री पर निशाना साधा। ललन सिंह ने प्रियंका गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘अरे आपको ज्ञान नहीं है जरा अपने पूर्वजों ने इस देश पर जो शासन किया है उनका भी इतिहास पढ़ लेती। हमारे यहां एक कहावत है, सौ चूहे खाकर, बिल्ली चली हज को।’

ललन सिंह ने कहा कि जो संविधान के भक्षक हैं वह आजकल संविधान की कॉपी लेकर ऐसे घूम रहे हैं जैसे संविधान के कितने रक्षक हैं। राहुल गांधी का नाम लिए बगैर ललन सिंह ने कहा कि जो संविधान के भक्षक हैं वह संविधान के रक्षक नहीं हो सकते। जब आप संविधान की प्रति लेकर घूमते हैं तो जनता आप पर हंसती है। कम से कम महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव से आपको सबक ले लेना चाहिए था। कुछ सुधर जाइएगा तो आगे ठीक रहेगा।

ललन सिंह ने आगे कहा कि इन्होंने अपनी सुविधा के लिए संविधान में धारा 356 का प्रावधान किया। धारा 356 के प्रावधान को भीमराव अंबेडकर ने संविधान के मित्रपत्र की संज्ञा दी। मतलब इसका इस्तेमाल विशेष परिस्थिति में ही किया जाना चाहिए। इनका इतिहास है कि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 7 बार धारा 356 का इस्तेमाल किया। इंदिरा गांधी ने 51 बार 356 का इस्तेमाल किया। राजीव गांधी के समय में 6 बार इस्तेमाल हुआ। पीवी नरसिम्हा राव के वक्त 11 बार इस्तेमाल हुआ और मनमोहन सिंह की सरकार में 12 बार धारा 356 का इस्तेमाल हुआ। मनमोहन सिंह की सरकार ने 2005 में बिहार में जो किया वह तो अभूतपूर्व है। इन्होंने संविधान के डर से ऐसे फैसले लिए जो रात के अंधेरे में किए गए। जब सूर्योदय हुआ तो बिहार में राष्ट्रपति शासन लगा दिया। इमरजेंसी भी रात के अंधेरे में लगाया गया। इन्होंने संविधान की आत्मा को कलंकित करने का काम किया।

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