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नई दिल्ली : दिल्ली में चार पुलिसवालों ने खाकी वर्दी को एक बार फिर दागदार कर दिया है। दरअसल इंस्पेक्टर समेत इन पुलिसवालों पर आरोप है कि इन्होंने फर्जी रेड कर लोगों पर हवाला का काम करने का आरोप लगाकर उनसे 24 लाख रुपये की जबरन वसूली की। बात शकरपुर थाने के एसएचओ तक पहुंची तो उन्होंने आला अधिकारियों को जानकारी दी। पुलिस सूत्र का कहना है कि इसके बाद मामले में डिस्ट्रिक्ट के पीजी सेल ने जांच की।
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8 लोगों पर धोखाधड़ी का केस
इसकी रिपोर्ट के आधार पर शकरपुर थाने में 4 पुलिसकर्मियों समेत 8 लोगों पर धोखाधड़ी व आपराधिक षड्यंत्र रचने का केस दर्ज किया गया है। साथ ही 4 में से तीन पुलिसवालों को सस्पेंड कर दिया गया है। पुलिस सूत्र ने बताया कि 44 वर्षीय पीड़ित पवन कुमार जींद, हरियाणा के रहने वाले हैं। वह किसान हैं और जींद में ही रहने वाले उनके दोस्त शमशेर सिंह का बेटा ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई कर रहा है। पवन भी अपने बेटे को ऑस्ट्रेलिया भेजना चाहते थे। इसलिए उन्होंने शमशेर से संपर्क किया था।
बेटे को भेजना था ऑस्ट्रेलिया
शमशेर ने अपने एक जानकार से बात की। जिसने कहा कि वह 2 लोगों का जानता है, जो उनके बेटे को वहां भिजवा सकते हैं। जानकार ने शमशेर का नंबर उन लोगों को दे दिया। इसके बाद शमशेर ने पवन को बताया कि वो लोग तुम्हारे बेटे को ऑस्ट्रेलिया भेजने के लिए 23 लाख रुपये मांग रहे हैं। यह रकम बेटे के वहां पहुंचने के बाद उन्हें देनी होगी। पवन से बेटे के दस्तावेज लेने के बाद टिकट का 4 लाख रुपये खर्च अलग बताया गया। 14 मई को लड़के ने जाना था। आरोपियों ने टिकट भी दे दी थी, लेकिन उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट पर सेटिंग नहीं हो पाई है। अब जाने के लिए 29 मई का दिन तय हुआ।
29 मई को हुई घटना
पवन को कहा गया कि आप रकम लेकर दिल्ली के लक्ष्मी नगर इलाके में होटल लेकर रुकें। हमारा बंदा वहां आएगा, रकम देखेगा और फिर आपके बेटो को एयरपोर्ट लेकर जाएगा। पवन ने लक्ष्मी नगर की जगह शकरपुर इलाके में होटल ले लिया, जिस पर आरोपियों ने नाराजगी जाहिर की। पवन ने कहा एक ही बात है कोई ज्यादा दूरी नहीं है। अब एक महिला उनसे बातचीत कर रही थी। 29 मई को एक आदमी पवन के रूम पर पहुंचा और रुपयों की विडियो बनाई। फिर किसी को कॉल करके कहा कि मैं रुपयों के पास बैठा हूं, इनका काम करवाओ।
एक मिनट बाद पुलिस दरवाजे पर थी
उस शख्स की कॉल कटते ही पवन के रूम पर किसी ने दस्तक दी। आई होल से बाहर देखा तो सामने पुलिस खड़ी थी। शमशेर ने गेट खोला। 3 लोग पुलिस की वर्दी में थे और एक सादे कपड़ों में। सादे कपड़े वाले ने खुद को लक्ष्मी नगर थाने का एसएचओ बताया। शमशेर ने जब उनसे पूछा कि आप यहां क्यों आए हो तो वह कहने लगा कि यहां हथियार होने की सूचना मिली है। इस पर शमशेर ने उनका विडियो बनाना शुरू कर दिया। इस बीच एक पुलिसवाले ने उन्हें कहा कि यह विडियो बनाना महंगा पड़ेगा। लेकिन फिर भी शमशेर ने विडियो बनाना बंद नहीं किया।
थाने में दिया यह ऑफर
बताया गया है कि जब होटल में शोरशराबा होने लगा तो पुलिसवाले पवन, शमशेर व अन्य साथियों को लक्ष्मी नगर थाने ले आए। यहां आकर उन्हें कहा कि तुम हवाला का काम करते हो, तुम्हारे लिंक पाकिस्तान से हैं। दोनों ने ऐसे लिंक होने की बात से इनकार कर दिया। अब ये लोग इंस्पेक्टर के पैरों में गिरकर छोड़ देने की मिन्नतें करने लगे। आरोप है कि इंस्पेक्टर ने उन्हें ऑफर दिया कि या तो यह पैसे छोड़कर यहां से चला जाओ या फिर यह पैसे जमा करवाकर जेल जाओ।
इंस्पेक्टर अन्य पुलिसवालों को भी यही बात कहकर चला गया कि ये पैसे यहां छोड़ दें तो इन्हें जाने देना, वरना बंद कर देना। सभी ने पैसे छोड़कर घर जाने का फैसला किया। कुल 24.50 लाख में में से पुलिसवालों ने उन्हें 50 हजार रुपये घर जाने के लिए दे दिए। पुलिसवाले ही उन्हें होटल तक छोड़कर आए। साथ ही एसएचओ के नाम एक एप्लीकेशन भी लिखवाई, जिसमें उनसे लिखवाया कि भतीजे को विदेश भेजने को लेकर हमारी एजेंट से कहासुनी हो गई थी। एजेंट ने पुलिस बुला ली थी, लेकिन अब हमारा समझौता हो गया है और हमें कोई कार्रवाई नहीं करवानी।
ऐसे की शिकायत
पवन ने शमशेर के घर पहुंचकर शकरपुर थाने के एसएचओ को कॉल कर घटना की सूचना दी। साथ ही सारे विडियो भी उनके नंबर भेज दिए। मामला आला अधिकारियों तक पहुंचा और पीजी सेल की जांच के बाद 15 जून को मामले में केस दर्ज किया गया। साथ ही 2 हेड कॉन्स्टेबल और एक कॉन्स्टेबल को सस्पेंड भी कर दिया गया। लेकिन महकमे में चर्चा इस बात की है, जिस इंस्पेक्टर के सुपरविजन में सारा खेल हुआ, उसे सस्पेंड क्यों नहीं किया गया। चारों पुलिसकर्मी लक्ष्मी नगर थाने के थे। इंस्पेक्टर उस थाने का एसएचओ भी नहीं है। आज खबर लिखे जाने तक भी पीड़ित को उसकी रकम वापस नहीं मिली थी और उन्हें आज पूछताछ के लिए दिल्ली बुलाया था।
एफआईआर में भी खेल
इस पूरे मामले पर वकील ओशियन चौधरी का कहना है कि इस केस में धोखाधड़ी के साथ ही एक्सटॉर्शन का केस भी बनता है। क्योंकि पुलिसवालों ने डर दिखाकर जो पैसे लिए वो जबरन वसूली में आते हैं। अब ऐसा क्यों किया गया है यह तो पुलिस ही बेहतर जानती है। इस पूरे मामले पर खबर लिखे जाने तक डीसीपी ईस्ट अपूर्वा गुप्ता ने कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी।
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