भू-माफियाओं ने बेच डाली सरकारी जमीन, जवान समेत फंसे 28 परिवार

राजधानी में भू-माफिया किस कदर सक्रिय हैं, इसका सहज अंदाजा शहर की शिक्षक कालोनी कोटा की जमीन पर हुए कब्जे से लगा सकते हैं। आलम यह है कि यहां भू-माफियाओं ने पटवारी, राजस्व निरीक्षक और राजस्व अधिकारियों के साथ मिलकर सरकारी जमीन ही बेच डाली। जमीन बेचने वालों के झांसे में सेना के जवान समेत 28 परिवार आ चुके हैं। अब इनके भवनों और प्लाटों को सरकारी बताया जा रहा है। इस लेकर रहवासियों में भारी चिंता और रोष है।

चिंतनीय पहलू यह है कि सीमांकन की जांच रिपोर्ट के बाद भी मामले में तहसीलदार, एसडीएम, एडीएम और यहां तक की कलेक्टर ने भी कार्रवाई करने की जहमत नहीं दिखाई।

सरकारी जमीन के इस घोटाले में नगर निगम और राजस्व के अधिकारियों ने नगर निगम के लेआउट से सरकारी जमीन के खसरा क्रमांक 150/3 को हटा दिया। इसके बाद भू-माफियाओं ने यहां अवैध प्लाटिंग करके भोले-भाले लोगों को फंसाया और जमीन बेच दी।

आसपास के रहवासियों को पता चला कि सरकारी चरागाह बेचा गया है तो शिकायत की और पूर्व कलेक्टर डा. एस. भारतीदासन ने 2019 में पूरे प्रकरण की जांच कराई। इसमें सीमांकन के बाद खसरा क्रमांक 150/3 में 1.072 हेक्टेयर जमीन में 28 लोगों का कब्जा होने का मामला पर्दाफाश हुआ था।

इसके पहले इन्हीं अधिकारियों ने सीमांकन करके इसी जमीन को निजी जमीन बताया था। पूरे मामले में गड़बड़ी करने वाले भू-माफियाओं पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। अब प्रशासन इस जमीन घोटाले में फंसे लोगों को ही बार-बार नोटिस दे रहा है।

भू-माफियाओं ने आम नागरिकों को गलत खसरा बैठाकर सरकारी जमीन बेच दी है। मेरे पार्षद बनने से पहले ही यह सीमांकन रिपोर्ट में दर्ज है। सीमांकन पूर्व पार्षद के कार्यकाल में हुआ था।

जिन लोगों ने जमीन बेची थी, मैं आज भी उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहा हूं। मैं चाहता हूं कि जिन लोगों ने गलत तरीके से जमीन बेची है, उन पर कार्रवाई होनी चाहिए। इस कार्य में शामिल तत्कालीन राजस्व अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो।

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