रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा का दूसरा दिन शुरुआत से ही हंगामें भरा रहा है। सत्र की शुरू होते ही सबसे पहले प्रश्नकाल में धान और किसान के मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार को जमकर घेरा। शून्यकाल में विपक्ष ने किसानों की समस्याओं और धान खरीदी के मसले पर स्थगन प्रस्ताव लाया। स्थगन के जरिए चर्चा कराने की मांग की। सदन में लगातार विपक्ष की ओर से धान खरीदी की तारीख बढ़ाने की मांग की। जिस पर मंत्री दयाल दास बघेल ने कहा कि, धान खरीदी की तारीख समाप्त हो चुकी है। हमने 4 फरवरी तक धान खरीदी की तारीख में बढ़ोतरी की थी।
बता दें कि धान खरीदी की तारीख बढ़ाने, पिछली बार की तुलना में कम धान खरीदी, किसानों को टोकन नहीं देने जैसे विपक्ष के आरोपों के साथ लाये गये स्थगन के जवाब में संसदीय कार्यमंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि, धान खरीदी को लेकर जो भी बातें विपक्ष कह रहा है, वो फेक जानकारी के आधार पर है। गलत जानकारी के आधार पर वो सदन में चर्चा की बात कर रहे है। इसकी वजह से इस विषय पर स्थगन नहीं हो सकता। आरोप-प्रत्यारोप के बीच विधायक द्वारकाधीश यादव ने कहा कि मृतकों के रकबे को भी शामिल कर लिया गया है, धान खरीदी में व्यापक गड़बड़ियां हुई है।
धान के रकबे पर मचा घमासान
विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक उमेश नंदकुमार पटेल ने सवाल किया कि इस वर्ष किसानों ने जो धान बेचा है उसका रकबा कितना है। इस पर खाद्य मंत्री दयाल दास बघेल ने जवाब दिया कि 27.92 लाख हेक्टेयर है बेचे गए धान का रकबा, इस जवाब के आते ही विधायक उमेश पटेल ने कहा छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार है कि बेचे गए धान का रकबा घटा है, इस बार का मंत्री बता रहे हैं कि 27.92 लाख हेक्टेयर है जबकि पिछली बार 29.06 लाख हेक्टेयर रकबा था। विपक्ष ने सरकार की ओर से आए जवाब पर सरकार को घेरा और कहा इस अनुपात से साबित है कि धान खरीदी कम हुई है।
विपक्ष ने किए कई सवाल
विधायक उमेश पटेल ने कहा कि, समर्थन मूल्य में खरीदी जो हुई है इसमें कई लोगो का भुगतान अब तक नहीं हुआ है। मेनिफेस्टो के मुताबिक किसानों को बोनस की राशि नहीं दी गई है, इसमें कई 1 से 2 साल पुराने किसान है।
वहीं विधायक अटल श्रीवास्तव ने कहा कि, किसानों के घर में शादी है लेकिन उन्हें बैंक से लोन नहीं दिया जा रहा और ऐसी स्थिति में किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि, हजारों किसान धान नहीं बेच पाए है, रकबा में कटौती कर दी गई है। किसान परेशान है। अधिकारी उनके यहां छापे मार रहे है उनकी समस्या का समाधान करना जरूरी है।