



रायपुर नवा रायपुर में राकेश टिकैत दिल्ली बॉर्डर की तरह लम्बा आंदोलन चला सकते हैं। इसका इशारा उन्होंने रायपुर दौरे में चर्चा में किया है। बुधवार को रायपुर पहुंचने के बाद उन्होंने नवा रायपुर में चल रहे आंदोलन के बीच मरने वाले किसान सियाराम के परिजनों से मुलाकात की। सियाराम पैदल यात्रा में शामिल हुए थे और अचानक तबियत बिगड़ने से उनकी बीच रास्ते में ही मौत हो गई थी।
राकेश टिकैत ने सियाराम के बेटे से मुलाकात की। उनके साथ गांव की स्थिति और जमीन के अधिग्रहण की जानकारी ली। इसके बाद मीडिया से चर्चा में राकेश टिकैत ने कुछ अहम बातें कहीं। टिकैत ने कहा- हम लोग आंदोलन का हिस्सा हैं। किसानों का कई महीनों से आंदोलन चल रहा है, उनका समाधान कराएंगे। 27 गांव के किसानों की जमीन प्रभावित है। छत्तीसगढ़ सरकार के साथ शाम 5 बजे बातचीत होनी है। इसके बाद पता चलेगा की क्या निर्णय सामने आता है।
टिकैत ने आगे कहा कि इस आंदोलन को कुचलने का प्रयास गलत है। यह परंपरा नहीं होनी चाहिए। प्रशासन को समझ आ गया कि लोग इकट्ठे होने वाले हैं, तब परमिशन धरने की दी गई। प्रेशर से आंदोलन खत्म नहीं होता। आंदोलन खत्म होता है बातचीत से। अगर किसानों की मांग पूरी नहीं होती है तो यह आंदोलन काफी लंबा चलेगा। नया रायपुर का आंदोलन दिल्ली से कमजोर नहीं है। इसके बाद टिकैत ने नवा रायपुर के किसानों के धरना स्थल जाकर आंदोलन में शिरकत की।
इस पहले एयरपोर्ट पर राकेश टिकैत ने मीडिया से बात की उन्होंने कहा कि अगर नया रायपुर बन रहा है तो वहां के विकास का फायदा किसानों को मिलना चाहिए। टिकैत ने आगे चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा कि मैं कोई ज्योतिषी थोड़े हूं जो भविष्य बताऊं, हमारा चुनाव लड़ने का कोई इरादा नहीं है। हमारा संगठन चुनाव नहीं लड़ेगा। अब कोई इंडिविजुअल व्यक्ति चुनाव लड़े तो इसकी गारंटी मैं नहीं ले सकता। बाकी ऐसा हमारा कोई इरादा नहीं है।
रायपुर दौरे को लेकर टिकैत ने बताया कि वो यहां दो दिनों के लिए आए हैं। हमने आने से पहले सरकार को मैसेज भेजा है कि हम दो दिन रहेंगे सरकार से भी बात करेंगे, किसान संगठन से बात करेंगे। यहां नवा रायपुर में आंदोलनरत किसानों को बलपूर्वक हटाने को टिकैत ने गलत बताया उन्होंने कहा कि बातचीत होनी चाहिए समाधान ताकत के इस्तेमाल से नहीं होगा।
ये है पूरा मामला
पिछले करीब 2 महीनों से नवा रायपुर में किसान NRDA के दफ्तर के बाहर धरना दे रहे थे। इस आंदोलन में एक किसान की मौत हो चुकी है। किसान मांग कर रहे हैं कि जिनकी जमीन नवा रायपुर बसाने के लिए ले ली गई उन्हें मुआवजा अधिक मिले, दुकानें मिलें, रोजगार मिलें, प्रतिबंधित इलाकों में जमीन खरीदने और बेचने की छूट मिले। दो दिन पहले ही पुलिस ने अचानक किसानों को यहां से आंदोलन अवैध बताकर खदेड़ दिया। अब किसान नवा रायपुर में दूसरी जगह धरने पर फिर से बैठे हैं, इसी सिलसिले में टिकैत यहां आए हैं।