



कांग्रेस के दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) ने राजभवन में पंजाब के 16वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। इसी के साथ पंजाब को पहला दलित मुख्यमंत्री मिल गया है। राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई है।



चरणजीत सिंह चन्नी के साथ ही ओपी सोनी और सुखजिंदर सिंह रंधावा ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली है। ओपी सोनी की पहचान हिंदू नेता के तौर पर है। कैप्टन अमरिंदर की सरकार में वे मेडिकल शिक्षा मंत्री थे।
वहीं सुखजिंदर सिंह रंधावा कैप्टन अमरिंदर की सरकार में जेल और सहकारिता मंत्री थे। चंडीगढ़ स्थिति राजभवन में शपथ समारोह के दौरान नवजोत सिंह सिद्धू, सुनील जाखड़ समेत पंजाब कांग्रेस के तमाम नेता मौजूद रहे। लेकिन कैप्टन अमिरंद सिंह समारोह में शामिल नहीं हुए हैं। बता दें कि चरणजीत सिंह चन्नी ने शपथ ग्रहण समारोह से पहले रूपनगर के एक गुरुद्वारे में पूजा-अर्चना की थी।
हरमिंदर सिंह गिल ने सुनील जाखड़ के बायन पर प्रतिक्रिया दी है। पत्रकारों ने जब हरीश रावत के बयान पर जब कांग्रेस नेता हरमिंदर सिंह गिल से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि सुनील जाखड़ ने जो बयान दिया है उस पर सिर्फ वही टिप्पणी कर सकते हैं।
चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब के मुख्यमंत्री बनाने का फै़सला पार्टी आलाकमान का है न कि हरीश रावत जी का फै़सला है। सुनील जाखड़ ने हरीश रावत के बयान पर जताया ऐतराज कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ ने हरीश रावत के बयान पर आपत्ति जताई।
सुनील जाखड़ ने अपने ट्विटर अकाउंट से ट्वीट करते हुए लिखा कि चरणजीत सिंह चन्नी के शपथ समारोह के दिन हरीश रावत का बयान की ‘चुनाव नवजोत सिंह सिद्धू के नेतृत्व में लड़े जाएंगे’ चौंकाने वाला है। यह मुख्यमंत्री के अधिकार को कमजोर करने की संभावना ही नहीं बल्कि इस पद के लिए उनके चयन के उद्देश्य पर भी सवाल उठाता है।
चन्नी दिसंबर 2010 में अमरिंदर की मदद से कांग्रेस में शामिल हो गए थे। कैप्टन की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे। चन्नी चमकौर साहिब विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। इसके अलावा कैप्टन की सरकार से पहले साल 2015 से 2016 के बीच पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता की भूमिका भी निभाई। उन्होंने सुनील जाखड़ की जगह ली थी।
चन्नी रामदसिया सिख समुदाय से आते हैं। 2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह कैबिनेट में कैबिनेट मंत्री नियुक्त किया गया। चमकौर साहिब विधानसभा से तीसरी बार विधायक हैं। वह कांग्रेस आलाकमान द्वारा घोषित पहले अनुसूचित जाति के मुख्यमंत्री हैं। इसके अलावा उन्हें गांधी परिवार का बेहद करीबी माना जाता है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सीपी जोशी के संपर्क में थे, जब वह चुनाव प्रभारी थे। जोशी ने ही उन्हें राहुल गांधी से मिलवाया था। भारत में सबसे ज्यादा दलित सिख पंजाब में हैं। इनकी संख्या करीब 32 फीसदी बताई जाती है। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दलित सिख चेहरा होने के नाते उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के पक्ष में रहा है।