



भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और मजबूत कदम बढ़ा दिया है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी DRDO ने एक शानदार कार्बाइन गन बनाई है. पुणे स्थित आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (ARDE) के डिज़ाइन पर बनाया गया यह गन भारतीय सेना को खूब भा रही है. 5.56×45 mm क्लोज क्वार्टर बैटल (CQB) कार्बाइन के लिए भारतीय सेना ने करीब 2000 करोड़ रुपये की बोली लगाई, जिसके तहत उसे 4,25,213 CQB कार्बाइन मिलेंगी. यह नई कार्बाइन दशकों पुरानी 9mm स्टर्लिंग कार्बाइन की जगह लेंगी.
डीआरडीओ की यह उपलब्धि ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल को मजबूती देती है और भारत की रक्षा उद्योग की बढ़ती क्षमता को दर्शाती है. आइए, इस स्वदेशी हथियार की खासियतों पर नजर डालें, जो इसे आधुनिक युद्ध के लिए एक ‘गेम-चेंजर’ बनाती है.
नजदीकी लड़ाई का ब्रह्मास्त्र
ये CQB कार्बाइन खास तौर पर ‘क्लोज क्वार्टर बैटल’ यानी नजदीकी लड़ाई के लिए बनाई गई है, जहां सैनिकों को आतंकियों के साथ आमने-सामने की लड़ाई में भिड़ना पड़ता है. ये हथियार छोटा, हल्का और तेज है, जिससे सैनिक इसे आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं. पुरानी स्टर्लिंग कार्बाइन 1940 के जमाने की थी और कमजोर थी, लेकिन ये नई कार्बाइन 5.56×45 mm गोली चलाती है, जो INSAS राइफल की गोलियों जैसी है. इससे सेना को गोलियां लाने-ले जाने में आसानी होगी, क्योंकि ये गोली पहले से इस्तेमाल होती है.
इस हथियार की सबसे बड़ी खासियत है कि ये बहुत सटीक निशाना लगाता है. ये दो तरीके से चलता है. एक बार में एक गोली या फिर लगातार गोलियां भी फायर कर सकती है. जब गोली चलती है, तो हथियार ज्यादा हिलता नहीं, जिससे निशाना बिल्कुल सही रहता है. इसका वजन सिर्फ 3 किलो के आसपास है, तो सैनिक इसे लंबे समय तक आसानी से ले जा सकते हैं. ये 100-150 मीटर तक सटीक निशाना लगा सकता है, जो शहरों या जंगलों में होने वाली लड़ाई के लिए काफी है.
हर जगह मनवाई अपनी ताकत
इस कार्बाइन को और खास बनाता है इसका आधुनिक डिज़ाइन… इसमें रेल जैसी चीजें लगी हैं, जिन पर रात में देखने वाली दूरबीन, लेजर लाइट, या निशाना लगाने वाली साइट जोड़ी जा सकती हैं. ये इसे रात के मिशन या मुश्किल जगहों पर भी कारगर बनाता है. इसे साफ करना और ठीक करना भी आसान है, जिससे सैनिकों को ज्यादा परेशानी नहीं होती.
इस हथियार ने सेना के सख्त टेस्ट पास किए हैं. चाहे राजस्थान की गर्मी हो या लद्दाख की ठंड, इसने हर जगह अच्छा काम किया. गुणवत्ता के टेस्ट में भी ये पास हो गया. इससे पहले, ये केंद्रीय पुलिस बलों और उत्तर प्रदेश पुलिस के टेस्ट में भी खरा उतरा. इसका मतलब है कि ये हर तरह की लड़ाई के लिए भरोसेमंद है. इसे भारत फोर्ज की पुणे वाली फैक्ट्री में बनाया जाएगा, जिससे नौकरियां बढ़ेंगी और भारत का पैसा भारत में ही रहेगा.
ये हथियार भारतीय सेना को और ताकतवर बनाएगा. पुरानी स्टर्लिंग कार्बाइन की जगह ये नई कार्बाइन आतंकवाद-रोधी मिशनों और शहरों में होने वाली लड़ाई में सैनिकों की ताकत बढ़ाएगी. NSG जैसे विशेष दस्ते भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं, जो इसकी क्वालिटी दिखाता है. रक्षा मंत्रालय ने विदेशी हथियारों की जगह देसी हथियारों को चुना, जिससे इजरायल और अमेरिका की कंपनियां इस सौदे से बाहर हो गईं. ये ‘आत्मनिर्भर भारत’ की जीत है.
कुल मिलाकर, DRDO और भारत फोर्ज की 5.56×45 mm CQB कार्बाइन एक देसी हथियार है, जो छोटा, हल्का, सटीक और आधुनिक है. ये नजदीकी लड़ाई में सैनिकों का सबसे बड़ा साथी होगा. ये हथियार न सिर्फ सेना को मजबूत करेगा, बल्कि दुनिया को दिखाएगा कि भारत अब अपने हथियार खुद बना सकता है. ये भारत की ताकत और आत्मविश्वास की कहानी है.
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