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मानवीय सहायता लेकर गाजा जाते जहाज पर इजरायली सेना का ‘कब्जा’, एक्टिविट्स बोले- किडनैप कर लिया

इजरायल के बड़े पैमाने के हमलों का दंश झेलते गाजा के लिए एक और बुरी खबर है. गाजा पट्टी में मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए 12 ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट्स यानी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का एक समूह जहाज से जा रहा था लेकिन अब उसपर बीच समंदर इजरायली सैनिक सवार हो गए हैं.इस जहाज का नाम मैडलीन है और फ्रीडम फ्लोटिला गठबंधन अभियान समूह ने टेलीग्राम ऐप पर कहा है कि जहाज से “कनेक्शन टूट गया है”. इसके साथ एक तस्वीर भी पोस्ट की गई जिसमें लाइफ जैकेट पहने लोग हाथ ऊपर करके बैठे दिख रहे हैं. ट्विटर पर वीडियो पोस्ट करके एक्टिविस्ट्स ने दावा किया है कि उन्हें इजरायली सेना ने किडनैप कर लिया है.

गौरतलब है कि इस जहाज पर सवार लोगों में जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग भी शामिल हैं. इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज ने पहले ही अपनी सेना को जहाज को गाजा की नाकाबंदी तोड़ने से रोकने का आदेश दिया था. दरअसल इसरायल का दावा है कि वह नहीं चाहता कि हथियार हमास तक पहुंचे और उसे ही रोकने के लिए नाकाबंदी जरूरी है.

जहाज पर इजरायली सैनिकों के बैठने के बाद इजरायल के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि मैडलीन “सुरक्षित रूप से इजरायल के तटों की ओर बढ़ रहा है.” एक्स पर एक पोस्ट में, मंत्रालय का कहना है, “यात्रियों से अपने-अपने गृह देशों में लौटने की उम्मीद है.”

फ्रीडम फ्लोटिला गठबंधन क्या है?

गाजा युद्ध 7 अक्टूबर, 2023 को इजरायल पर हमास के हमले से शुरू हुआ था. एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि हमास के हमले में इजरायली पक्ष के 1,218 लोगों की मौत हो गई, जिनमें ज्यादातर नागरिक थे. वहीं रविवार को, हमास द्वारा संचालित गाजा में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि गाजा में मरने वालों की कुल संख्या 54,880 तक पहुंच गई है, जिनमें से अधिकांश नागरिक हैं. संयुक्त राष्ट्र इन आंकड़ों को विश्वसनीय मानता है.

हमास के हमले से पहले से ही इजरायल ने गाजा पर नौसैनिक नाकाबंदी लागू कर रखी है. यानी समुंद्र के रास्ते वो गाजा में कुछ नहीं आने देता. इस नाकाबंदी का विरोध करने और मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए 2010 में फ्रीडम फ्लोटिला गठबंधन की स्थापना की गई थी.

इजरायल को गाजा में मानवीय संकट पर बढ़ती अंतरराष्ट्रीय निंदा का सामना करना पड़ा है, जहां संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि 20 लाख से अधिक की पूरी आबादी अकाल के खतरे में है.

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