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अनिरुद्धाचार्य का एक और विवादित बयान! कथा के बीच कहा- है तो वैश्या, लेकिन खुद को…

संतों और कथावाचकों द्वारा सोशल मीडिया, लिव इन रिलेशन एवं समाज के मौजूदा ताने बाने पर विवादित बयानों का दौर जारी है. बीते दिनों कथावाचक अनिरुद्धाचार्य और फिर प्रेमानंद महाराज ने लड़के और लड़कियों को लेकर ऐसी बातें कहीं जिसकी एक बड़े वर्ग ने आलोचना की. अब इन्हीं आलोचनाओं के बीच कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने एक और विवादित बयान दे दिया है. एक कथा के दौरान लिव इन रिलेशनशिप को लेकर हो रहे बवाल पर अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि कलयुग में वैश्या को वैश्या नहीं कह सकते हैं. उन्होंने कहा कि कलियुग में आप वैश्या को वैश्या नहीं कह सकते हैं. हैं तो वैश्या, लेकिन खुद को सती सवित्री सुनना चाहती है.

उन्होंने एक कथा के दौरान कहा कि कलयुग में क्या नहीं है? कलयुग में सत्य नहीं. यदि कलयुग में सत्य बोलते हैं तो लोग आपका विरोध करने लग जाएंगे . कलयुग में आप किसी को कह दीजिए कि लिविन में रहना गलत है तो आपका विरोध हो जाएगा क्योंकि कलयुग में सत्य नहीं. आप सत्य नहीं बोल सकते. मैंने बोला तो सत्य कि आजकल कुछ लोग लिव इन में रह के गलत करते हैं तो उसका मेरा विरोध किया लोगों ने. बड़े-बड़े लोगों ने विरोध किया क्योंकि सत्य पसंद नहीं है. इनको झूठ पसंद है. यदि इनके लिए कह दिया जाए कि आप लिवन में रह रहे हैं. सही कर रहे हैं. अरे तो महाराज जी बहुत अच्छे हैं. आप तो हमारा सपोर्ट कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि यदि हम कह दें कि नहीं जी लिव इन में रहना गलत है? आप लोग ही बताइए लिव इन में रहना सही है कि गलत है? आप कैसी बहू चाहती हो? जो लिव इन में रह के आए?  क्या आप में से कोई भी मां अपने बेटे के लिए लिव इन में रहने वाली बहू चाहेगी?  लेकिन आजकल हमने बोला कि लिव इन में रहना गलत है तो लोग विरोध हमारा कर रहे हैं,  क्योंकि सत्य नहीं इस कलयुग में आप सत्य नहीं बोल सकते.

‘देवी वाली हरकत हो आपकी तो आपको देवी भी …’

अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि कलयुग में आप वैश्या को वैश्या नहीं कह सकते वो है तो वैश्या पर सुनना चाहती है कि मैं सती सावित्री हूं. घूमेगी अर्धनग्न पर सुनना चाहेगी कि हमें देवी कहो. देवी वाली हरकत हो आपकी तो आपको देवी भी कहा जाए. हमारे यहां तो नारी को देवी ही कहा गया है. पर किस नारी को? हमारे यहां सीता जैसी नारियां भी हैं. जिनको हम सब पूजते हैं. मंदिर में कोई भी मंदिर ऐसा नहीं है जहां सीता जी ना हो. यदि राम है तो ऐसा कोई भी मंदिर नहीं है जहां राधा ना हो. यदि कृष्ण है तो कोई भी शंकर जी हैं तो पार्वती ना हो. ऐसा हो नहीं सकता. नारायण है तो लक्ष्मी ना हो ऐसा हो नहीं सकता. हमारे यहां नारी की पूजा होती है. पर किस नारी की? जो सती है, पवित्र है, आचरण से, सदाचार से, व्यवहार से, पवित्र है, उस नारी की क्या होती है? पूजा.

कथावाचक ने कहा कि लेकिन जो नारी सूर्पनखा जैसी है? क्या उस नारी की भी पूजा होगी? क्या एक तराजू में आप पतिव्रता नारियों को रखो और दूसरी तराजू में आप लिव इन में रहने वालियों को रखो तो क्या दोनों का पलड़ा भारी होगा?  समाज तो यही कहता है कि भाई यह भी नारी है. यह भी नारी है. आजकल तो समानता का भाव है ना कि सब बराबर हैं. सब बराबर हैं तो सती, पतिव्रता और वैश्या एक कैसे हो सकती है? आज आप सत्य नहीं बोल सकते. यदि आप सत्य बोलेंगे तो लोग आपका क्या करेंगे? क्यों करेंगे? क्योंकि सत्य सुनना अच्छा नहीं है. लोग झूठ सुनना चाहते हैं.

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