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जांच में बड़ा खुलासा: पाम ऑयल में बटर व यलो रंग मिलाकर बना रहे सरसों का तेल, लोगों की सेहत से खिलवाड़

फिरोजाबाद: भोजन पकाने से लेकर तड़का लगाने तक सरसों के तेल का उपयोग किया जाता है। बाजार में कई कंपनियों के पैक्ड तेल के साथ खुला तेल भी बिकता है। हालांकि सरकार ने खुले तेल की बिक्री पर रोक लगा रखी है। इसके बाद भी फुटकर से लेकर थोक व्यापारी तक मिलावटी खुला तेल बेच रहे हैं। पाम आयल में सिंथेटिक बटर यलो रंग मिलाकर सरसों के तेल बनाया जाता है। कई नमूनों की जांच रिपोर्ट से इसकी पुष्टि हो चुकी है। पिछले वर्ष गुणवत्ता खराब पाए जाने पर 578 लीटर तेल सील किया गया। 

पिछले वर्ष 26 अक्टूबर को खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने सुहाग नगर में थोक कारोबारी दीपक गुप्ता के प्रतिष्ठान पर छापेमारी की थी। इस दौरान काफी मात्रा में सरसों का खुला तेल रखा मिला। इसका नमूना जांच के लिए भेजा गया था। गुणवत्ता में संदेह होने पर डेढ़ कुंतल से अधिक तेल सीज किया गया। जांच रिपोर्ट में पता चला कि तेल में सिंथेटिक बटर यलो रंग मिला हुआ था। 

पीलापन देने के लिए रंग

साफ है कि सरसों के तेल में पाम आयल मिलाने के बाद उसे पीलापन देने के लिए ये रंग मिलाया गया। इसी तरह की एक कार्रवाई 26 नवंबर को शिकोहाबाद के एटा रोड पर शिव कुमार के किराना स्टोर पर की गई थी। यहां भी जांच रिपोर्ट में तेल को असुरक्षित बताया गया। तेल में बटर यलो रंग मिला पाया गया। थोड़े से मुनाफे के लिए मिलावटखोर लोगों के साथ धोखा कर रहे हैं। 

वित्तीय वर्ष 2024-25 में विभागीय कार्रवाई पर एक नजर

  • 25 नमूने लिए गए सरसों के तेल के
  • 20 की रिपोर्ट आई है अब तक
  • 03 की रिपोर्ट में असुरक्षित पाया गया तेल
  • 06 मामलों में गुणवत्ता खराब पाई गई
  • 11 नमूने हुए पास

किडनी और लिवर के लिए खतरनाक

वरिष्ठ फिजीशियन डा. एसपीएस चौहान का कहना है कि ये हत्या से अधिक गंभीर अपराध है। हत्या के मामले में तो कोई व्यक्ति किसी एक की जान लेता है, लेकिन मिलावटखोर कितनों को शरीर में धीमा जहर पहुंचाकर मार रहे हैं इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। सिंथेटिक रंग मिला सरसों का तेल नियमित रूप से उपयोग करने से किडनी और लिवर को खराब कर सकता है। पाचन तंत्र फेल हो जाता है। त्वचा संबंधी रोग भी हो सकते हैं। इसलिए ऐसे मिलावटखोरों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

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