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महाकुंभ गई पत्नी, नाराज बैंक अधिकारी ने कोर्ट में लगा दी तलाक की अर्जी; जानें पूरा मामला

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में करोड़ों लोग आस्था की डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं. लेकिन, एक पति को अपनी पत्नी का महाकुंभ जाना इतना नागवार गुजरा कि उसने कोर्ट में तलाक की अर्जी दे दी. इतना ही नहीं, पत्नियों का अध्यात्म की ओर ज्यादा झुकाव भी पतियों को रास नहीं आ रहा है. ऐसे तीन मामले तलाक के लिए भोपाल कुटुंब न्यायालय पहुंचे हैं.

भोपाल के कुटुंब न्यायालय में इन दिनों कुछ अजीबोगरीब मामले सामने आ रहे हैं, जिसमें पत्नियों की धार्मिकता के कारण पति तलाक की अर्जी लगा रहे हैं. पिछले एक महीने में ऐसे तीन मामले सामने आए हैं. इन मामलों में पत्नियों का धर्म के प्रति बढ़ता रुझान ही तलाक का कारण बन रहा है. एक मामले में तो एक बैंक अधिकारी पति ने अपनी पत्नी के महाकुंभ जाने पर नाराजगी जताते हुए तलाक की अर्जी दी. उनका कहना था कि पत्नी उसकी मनाही के बावजूद अपनी सहेलियों के साथ धार्मिक यात्राओं पर जाती है. पति ने यह भी बताया कि पत्नी पिछले महीने वृंदावन से लौटी थी, और तब से उसने सिंदूर-बिंदी की जगह चंदन का टीका लगाना शुरू कर दिया है.

इसके बाद वह महाकुंभ भी चली गई और लौटने के बाद रुद्राक्ष की माला पहनने लगी है. पति का कहना था कि पत्नी के इस बदलते रूप और व्यवहार से वह असहज महसूस कर रहा है. उसके दोस्तों के सामने पत्नी का मजाक उड़ता है, और इस कारण वह उसे ऑफिस पार्टी में भी नहीं ले जा पाता.

नौकरी नहीं मिली तो पूजा-पाठ और टोटका

एक अन्य मामले में पति ने बताया कि पहले उसकी पत्नी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करती थी, लेकिन नौकरी न मिलने के बाद उसने पूजा-पाठ और टोटके करने शुरू कर दिए. सफलता तो नहीं मिली, लेकिन पूजा-पाठ का सिलसिला बढ़ता जा रहा था. अब पत्नी धार्मिक गुरुओं के बताए टोटके करने के लिए घंटों मंदिर में बिताती है, और घर में उनके वीडियो भी चलाती है, जिससे परिवार के लोग परेशान हो गए हैं.

दंपतियों को समझाने की कोशिश

इन दोनों मामलों में और एक अन्य मामले में पत्नियों की बढ़ती धार्मिकता को तलाक का आधार बनाया गया है. भोपाल कुटुंब न्यायालय के काउंसलर इस तरह के मामलों में दंपतियों को समझा-बुझाकर उनके रिश्ते बचाने की कोशिश कर रहे हैं. काउंसलिंग के जरिए इन दंपतियों को एक दूसरे के विचारों और धार्मिक रुझानों का सम्मान करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.

कुटुंब न्यायालय में इस तरह के मामलों की बढ़ती संख्या से यह साफ है कि आजकल धर्म के कारण परिवारों में तनाव और विवाद बढ़ रहे हैं, और इसे शांत करने के लिए वैवाहिक जीवन में समझदारी और सहमति की आवश्यकता है.

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