



क्या आपको पता है कि हमारे घरों के आस-पास एक ऐसा पौधा भी उगता है, जिसे आयुर्वेद ने पुरुषों के लिए वरदान माना है. जानकारों की माने तो, इस पौधे की जड़ों एवं पत्तियों से निकलने वाले रस के सेवन से 60 वर्ष का बुजुर्ग भी किसी जवान युवा जैसी शक्ति महसूस करने लगेगा. सिर्फ इतना ही नहीं, यदि आप इस पौधे की पत्तियों का चूर्ण बनाकर सुबह शाम सेवन करते हैं, तो महज़ 30 दिनों में शारीरिक कमज़ोरी सहित नपुंसकता जैसी समस्या का भी खात्मा हो सकता है.



पिछले 45 वर्षों से कार्यरत, पतंजलि के आयुर्वेदाचार्य भुवनेश पांडे बताते हैं कि पुरुषों के लिए वरदानतुल्य इस पौधे का नाम “सत्यानाशी” है. इससे निकलने वाली रस की एक एक बूंद में इतनी शक्ति होती है कि घने बुढ़ापे में भी शरीर को जवानी के जोश से भर देता है.सन 1984 से जड़ी बूटियों पर काम कर रहे वैध वासुदेव ने लोकल 18 ने बताया कि सत्यानाशी के सेवन ने सैकड़ों लोगों को नया जीवन प्रदान किया है.
इन्हें पहचानना बहुत आसान होता है. रेतीली ज़मीन पर ये बड़ी आसानी से उग आते हैं. इनके पौधे पर कांटे अधिक होते हैं और इसके फूल पीले रंग के होते हैं. फूलों के अंदर श्यामले रंग के बीज होते हैं. गौर करने वाली बात यह है कि पत्तियों को तोड़ने पर पीले रंग का दूध निकलता है, इसलिए इसे स्वर्णक्षीरी नाम से भी जाना जाता है.
आयुर्वेदाचार्य भुवनेश बताते हैं कि यदि कोई व्यक्ति शारीरिक कमज़ोरी, नपुंसकता या फिर बुढ़ापे में होने वाली थकान से बेहद परेशान है, तो उसे इसका सेवन अनिवार्य रूप से करना चाहिए. गौर करने वाली बात यह है कि इसके सेवन के दो तरीके हैं. पहला तरीका यह है कि आप सत्यानाशी के पौधे की जड़ों एवं पत्तियों को पीसकर उससे निकलने वाले रस का सेवन करें, या फिर इसके अलावे आप उनकी पत्तियों को सुखाकर उसका चूर्ण बना लें और फिर उसे हर दिन सुबह शाम पानी या दूध के साथ खाएं. ध्यान रहे कि रस के रूप में आपको उसे हर दिन अधिकतम 20 मिली लीटर ही लेना है तथा चूर्ण के रूप में सुबह शाम एक एक चम्मच का सेवन करना है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि किसी भी विधि से सिर्फ 30 दिनों तक इसका सेवन करने से आपके शरीर में इतनी ऊर्जा भर जाएगी, जितनी आपने अपने जवानी के दिनों में ही महसूस की होगी. जानकारों की माने तो, सत्यानाशी के रस या चूर्ण के सेवन से एक 60 साल का बुजुर्ग महज़ महीने दिन में 25 साल के युवा जितनी एनर्जी महसूस कर सकता है.
बता दें कि नपुंसकता कई कारणों से हो सकती है. शुक्राणुओं की कमी को सबसे मुख्य कारण बताया गया है. भुवनेश के अनुसार, सत्यानाशी में शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने का गुण होता है. इसलिए, अगर आप शुक्राणुओं की कमी के कारण निःसंतान हैं, तो इसका इस्तेमाल करना आपके लिए फायदेमंद है. इसके लगातार सेवन से महज 21 दिनों में नपुंसकता समाप्त हो सकती है.
चुकी सत्यानाशी का पौधा एंटीमाइक्रोबियल, एंटी-डायबिटीक, एनाल्जेसिक, एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीस्पास्मोडिक और एंटीऑक्सिडेंट जैसे कई गुणकारी तत्वों से भरा होता है. इसलिए, रस या चूर्ण के रूप में इसका सेवन खांसी, यूरिन की समस्या, डायबिटीज तथा पीलिया सहित अन्य कई रोगों में भी लाभप्रद माना जाता है.
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