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कार्तिक पूर्णिमा के दिन क्यों मनाई जाती है गुरु नानक जयंती?

गुरु नानक जयंती सिख समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसे “गुरुपर्व” या “प्रकाश पर्व” भी कहा जाता है। यह पर्व सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के जन्मदिवस का प्रतीक है। गुरु नानक देव जी सिख समुदाय के पहले गुरु है। यह पर्व अकसर अक्टूबर या नवंबर माह में आता है, और इस दिन को सिख समाज के लोग बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। इस दिन गुरुद्वारों में विशेष समारोह आयोजित किए जाते हैं। यह पर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, ऐसे में आइए जानते हैं कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही क्यों मनाई जाती है गुरु नानक जयंती…

गुरु नानक जयंती तिथि 2024
इस वर्ष गुरु नानक जयंती 15 नवंबर को मनाई जाएगी, क्योंकि इसी दिन कार्तिक पूर्णिमा पड़ रही है। इस साल गुरु नानक देव जी की 555वीं जयंती का उत्सव मनाया जाएगा।

कार्तिक पूर्णिमा पर ही क्यों मनाई जाती है गुरु नानक जयंती?
बताया जाता है कि गुरु नानक देव जी का जन्म साल 1469 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही हुआ था, इसलिए हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही उनकी जयंती बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। गुरु नानक जयंती से दो दिन पूर्व “अखंड पाठ” का आयोजन होता है, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब का लगातार 48 घंटे तक पाठ किया जाता है। इसका समापन जयंती के दिन होता है।

इस दिन प्रातःकाल में “नगर कीर्तन” निकाला जाता है, जिसमें सिख समुदाय के लोग शबद कीर्तन गाते हुए, पालकी में गुरु ग्रंथ साहिब को लेकर नगर में जुलूस निकालते हैं। गुरुद्वारों में कीर्तन और प्रवचन आयोजित होते हैं, जिनमें गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं और संदेशों पर चर्चा होती है। इस दिन गुरुद्वारों में विशेष “लंगर” का आयोजन किया जाता है, जहां सभी धर्मों के लोग एक साथ भोजन ग्रहण करते हैं। यह समाज में समानता और भाईचारे का संदेश देता है।

गुरु नानक जयंती का महत्व
यह पर्व गुरु नानक देव जी के जीवन, उनके उपदेशों और शिक्षाओं को याद करने का विशेष अवसर है। गुरु नानक जी ने समानता, प्रेम, सेवा और ईमानदारी का सन्देश दिया और जाति-धर्म से ऊपर उठकर सभी को समानता और भाईचारे का महत्व समझाया। इस पर्व पर लोग सेवा, दान, और परोपकार में शामिल होते हैं और गुरु नानक जी की शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लेते हैं।

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