ये तो सिस्टम का मजाक, हैरान हूं लोगों को एसिड पिलाया जा रहा… CJI ने सुप्रीम कोर्ट में की सख्त टिप्पणी।

सुप्रीम कोर्ट आज उस समय हैरान रह गया जब एक एसिड अटैक सर्वाइवर खुद कोर्ट में पेश हुईं और एक जनहित याचिका दायर करके यह मुद्दा उठाया कि देश में कई ऐसे मामले हैं, जहां पीड़ितों पर एसिड फेंका नहीं जाता, बल्कि उन्हें एसिड पिलाया जाता है

यह सिस्टम का मजाक है!” सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एसिड अटैक मामलों पर बेहद सख्त रुख अपनाते हुए यह टिप्पणी की. अदालत उस समय हैरान रह गई जब एक एसिड अटैक सर्वाइवर खुद कोर्ट में पेश हुईं और बताया कि देश में कई मामलों में पीड़ितों को एसिड पिलाया जाता है, लेकिन मौजूदा कानून में ऐसे पीड़ितों को मुआवज़े का कोई प्रावधान नहीं है. इस खुलासे ने न्यायपालिका को झकझोर दिया और केंद्र सरकार को नया कानून लाने पर विचार करने के लिए विचार करने को कहा.

 

सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका (PIL) में पीड़िता ने कहा कि एसिड पिलाए जाने वाले मामलों को भी एसिड अटैक कानून के तहत शामिल किया जाए. मौजूदा कानून केवल उन मामलों को कवर करता है, जहां एसिड फेंका जाता है. पीड़िता ने बताया कि 2009 में उस पर हमला हुआ था, लेकिन आज तक ट्रायल पूरा नहीं हुआ. यह सुनकर मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा: “यह तो सिस्टम का मज़ाक है! अगर राष्ट्रीय राजधानी में ही ऐसे मामलों का निपटारा नहीं हो पा रहा, तो देशभर में क्या स्थिति होगी?”

पीड़िता की दलील और PIL का महत्व

पीड़िता ने अपनी याचिका में कहा कि एसिड पिलाए जाने वाले पीड़ितों को भी एसिड अटैक मुआवज़ा कानून के तहत शामिल किया जाए ताकि उन्हें इलाज, पुनर्वास और मुआवज़े का लाभ मिल सके. उसने बताया कि एसिड पीने से शरीर के अंदरूनी अंग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, जिससे पीड़ित को जीवनभर दर्द और स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है. लेकिन मौजूदा कानून में इस तरह के मामलों को मान्यता नहीं दी गई है.

 

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

CJI ने कहा कि यह घटनाएं न केवल पीड़ितों के लिए भयावह हैं, बल्कि पूरे सिस्टम को शर्मसार करती हैं. उन्होंने कहा कि यह जानकर हैरानी हुई कि लोगों को एसिड पिलाया जा रहा है. “क्या मज़ाक है ये हमारे कानूनी सिस्टम का! यह तो शर्म की बात है. 2009 का ट्रायल आज भी चल रहा है. अगर राष्ट्रीय राजधानी (दिल्ली) ही ऐसे मामलों को संभाल नहीं पा रही, तो फिर कौन करेगा?”

 

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कानून लाने पर विचार करने के लिए कहा है. जिसके तहत एसिड पिलाए जाने वाले पीड़ितों को भी मौजूदा एसिड अटैक मुआवज़ा कानून में शामिल किया जाए. कोर्ट ने कहा कि ऐसे पीड़ितों को इलाज, पुनर्वास और मुआवज़े का अधिकार मिलना चाहिए. साथ ही देशभर में एसिड अटैक मामलों की स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए गए हैं.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post मुठभेड़ में मारे गए माओवादियों की संख्या बढ़कर 18 हुई।
Next post नारायणपुर मुख्यधारा में लौट चुके पूर्व नक्सलियों की नई शुरुआत, ‘वायान वाटिका’ में पौधारोपण।