



इंदौर। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बेंगलुरु में अंजाम दी गई आठ करोड़ रुपये की बैंकिंग धोखाधड़ी में 20 साल से फरार आरोपित महिला को इंदौर से गिरफ्तार कर लिया। महिला के पति की फरारी के दौरान मौत हो चुकी है। महिला ने फर्जी नाम रख लिया था। फर्जी ई-मेल आइडी, आधार कार्ड, पैन कार्ड सहित अन्य केवाईसी बना ली थी। सीबीआई ने डिजिटल फुटप्रिंट का विश्लेषण कर महिला को तलाशा और एक साथ तीन जगहों पर दबिश दी। महिला ने सीबीआई को चकमा देना स्वीकार लिया है। उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया है।
- सीबीआई से मिली जानकारी के मुताबिक, महिला का नाम मनी एम. शेखर है। मामला एक अगस्त 2006 का है।
- सीबीआई की बैंकिंग सुरक्षा एवं धोखाधड़ी शाखा (बीएसएफबी) बेंगलुरु में एफआईआर दर्ज की गई थी।
- इसमें रामानुजम मुथुरामलिंगम शेखर उर्फ आरएम शेखर और विभिन्न कंपनियों के निदेशकों को आरोपित बनाया गया था।
- आरोप है कि वर्ष 2002 से 2005 के बीच आरोपितों ने मिलकर बेंगलुरू स्थित एक राष्ट्रीयकृत बैंक से आठ करोड़ की धोखाधड़ी की साजिश की।
- सीबीआई ने आरोपितों के विरुद्ध प्रकरण दर्ज कर समन और वारंट जारी किए पर आरोपित कोर्ट में पेश नहीं हुए।
- 27 फरवरी 2009 को अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया।
पहचान पूरी तरह से बदल डाली थी
- पिछले वर्षों में इस दंपती ने अपनी पहचान पूरी तरह बदल ली थी। उन्होंने अपने नए नाम कृष्णकुमार गुप्ता (पति) और गीता कृष्णकुमार गुप्ता (पत्नी) रख लिए थे।
- अपने मोबाइल नंबर, पैन कार्ड, ई-मेल आईडी और केवाईसी दस्तावेज भी नए बनवा लिए थे। सीबीआई का दावा है कि एक्सपर्ट ने उन्नत इमेज सर्च और डिजिटल फुटप्रिंट विश्लेषण तकनीकों का उपयोग करके आरोपितों को ट्रैक किया।
- पुरानी और नई तस्वीरों का मिलान कर उनकी पहचान की और आरोपित महिला मनी एम. शेखर उर्फ गीता कृष्णकुमार गुप्ता को इंदौर से पकड़ लिया।
- सीबीआई के मुताबिक आरएम शेखर की 2008 में मौत हो चुकी है। आरोपित मनी एम. शेखर को फिलहाल बेंगलुरू की जेल में भेजा गया है।