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दमोह के फर्जी डॉक्टर के प्रयागराज स्थित घर में मिली फर्जी डाक्यूमेंट बनाने की मशीनें

दमोह। मध्य प्रदेश के दमोह शहर में स्थित मिशन अस्पताल में सात मरीजों की सर्जरी के बाद मौत के मामले में गिरफ्तार फर्जी डॉक्टर नरेंद्र यादव उर्फ एन जॉन केम के उत्तर प्रदेश में प्रयागराज स्थित घर पर न फर्जी दस्तावजे बनाने के उपकरण भी बरामद किए गए हैं।

इससे आशंका है कि वह फर्जी दस्तावेज बनवाने के काम में भी लिप्त था। वहीं, कानपुर में उसके पिता और भाई ने उससे कोई संबंध न होने की बात कही है। दमोह की पुलिस अधीक्षक श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने बताया कि पुलिस टीमें जांच की कड़ी में कानपुर और प्रयागराज भेजी गई थीं।

कई तरह के दस्‍तावेज मिले

प्रयागराज में ओमेक्स आनंद अपार्टमेंट के 511 नंबर प्लेट में नरेंद्र यादव को साथ ले जाकर तलाशी ली तो वहां अनेक प्रकार के दस्तावेज व दस्तावेज तैयार करने के उपकरण, कई प्रिंटर, कार्ड शीट व सील मिली हैं, जिसे जब्त किया गया है।

माना जा रहा है कि नरेंद्र ने इन्हीं की सहायता से न सिर्फ अपने फर्जी दस्तावेज तैयार किए, बल्कि यह आशंका भी बढ़ गई है कि इनके माध्यम से औरों के भी फर्जी दस्तावेज तैयार किए होंगे।

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पुलिस अधीक्षक श्रुतकीर्ति के अनुसार, इसी तरह कानपुर गई दूसरी पुलिस टीम ने नरेन्द्र यादव के पिता और भाई से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि वह वर्ष 1996 से 1999 तक ही कानपुर में रहा है, उसके बाद न तो फिर कभी घर आया, न ही परिवार से उसका अभी तक कोई संपर्क है। कानपुर में अध्ययन करने वाले स्कूल से भी उसका रिकॉर्ड निकलवाया है, जिसमें भी उसका नाम नरेंद्र यादव ही बताया गया है।

आरोपित का दावा ब्रिटेन में की पढ़ाई

इस बीच, पुलिस पूछताछ में आरोपित फर्जी डॉक्टर नरेंद्र यादव अब ब्रिटेन में पढ़ाई किए जाने का दावा कर रहा है। उसकी बात की सच्चाई जाने के लिए पुलिस पत्राचार कर रही है। वहीं, जब्त दस्तावेजों में आधार कार्ड और पैन कार्ड भी उसके बदले हुए नाम से ही प्राप्त हुए है।

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मानवाधिकार आयोग ने दमोह प्रशासन को जिम्मेदार बताया

वहीं, दमोह से जांच करके रवाना हुई राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम अपनी प्राथमिक जांच रिपोर्ट तैयार की है। इसमें आयोग ने मिशन अस्पताल में सात मौत के लिए जिला प्रशासन को भी जिम्मेदार ठहराया गया है।

आयोग के सदस्य प्रियांक कानूनगो ने बताया कि अभी प्राथमिक जांच में मिशन अस्पताल में जो लापरवाही सामने आई है, उसके लिए जिला प्रशासन इसलिए जिम्मेदार है, क्योंकि उसने कार्रवाई में तत्परता नहीं बरती है। प्रशासन को मिशन अस्पताल को बंद कर देना चाहिए था लेकिन इस मामले में अभी तक किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई।

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