




फ्रांस से भारत घूमने आई युवती माता दुर्ग की झांकी देखकर हैरान रह गई. फ्रिंसिया बस झांकी को देखते ही रह गई. अपने कलीग खिलेश्वर कोरी के साथ फ्रांस से भारत घूमने आई प्रिंसिया मुलेर इन दिनों बालाघाट के प्रवास पर हैं. भारत की संस्कृति, यहां का रहन सहन और अपने आराध्यों के प्रति भक्ति भाव से अभिभूत प्रिंसिया उस समय आश्चर्यचकित रह गई जब उन्होंने प्रजापिता ब्रह्माकुमारीस द्वारा नवरात्र के अवसर पर आयोजित सजीव झांकियों को देखा.




प्रिंसिया को विश्वास ही नहीं हुआ कि कोई व्यक्ति कैसे इतनी देर बगैर पलक झपकाए इस तरह जड़ मूर्ति बनकर बैठ सकता है. बता दें कि प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की बालाघाट इकाई बॉटनिकल गार्डन रोड पर स्थित सेंटर पर हर साल चैतन्य झांकियों का आयोजन करता है.

इस साल भी मां दुर्गा, मां सरस्वती, मां काली, मां लक्ष्मी और मां उमा की सजीव झांकियां सजाई गई थी. प्रिंसियां मूलेर इसे किसी चमत्कार से कम नहीं आंक रही थी और इसे समझने संस्था के भाई बहनों से अंग्रेजी में विस्तार से चर्चा कर रही थी. संस्था की ओर से उनके मन में उठ रहे हर सवाल का जवाब दिया गया.

प्रिंसिया के कलीग खिलेश्वर कोरी भी उनकी शंकाओं का समाधान कर रहे थे. इस मौके पर संस्था प्रमुख बीके माधुरी बहन ने प्रिंसिया मूलेर, डॉक्टर बी एल लिल्हारे, खिलेशवर कोरी से दीप प्रज्वलित करवाकर चैतन्य झांकियों का शुभारंभ किया गया.

प्रिंसिया ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि यहां आकर उन्हें सुख और शांति की अनुभूति हुई है. मुझे भारत की संस्कृति, यहां के लोग पसंद हैं. आई लव इंडिया. इसके बाद प्रिंसिया ने दादा लेखराज की कुटिया में बैठकर कुछ देर ध्यान योग किया. प्रिंसिया ने स्थानीय गुरुद्वारे भी जाकर वहां मत्था टेका और अरदास कराई.