



चंडीगढ़ : हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के साथ, सभी की निगाहें अगली सरकार के गठन पर टिकी हैं। हरियाणा में अगली सरकार का नेतृत्व वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सैनी के साथ एक या दो उपमुख्यमंत्री कर सकते हैं। बीजेपी के सूत्रों ने बताया कि सरकार का गठन अगले कुछ दिनों में हो जाएगा। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व हरियाणा में विधायकों के साथ बैठक करने के लिए पर्यवेक्षकों को भेजेगा, ताकि औपचारिक रूप से पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए उम्मीदवार का चयन किया जा सके।



नायब सिंह सैनी जीटी रोड स्थित लाडवा विधानसभा सीट से निर्वाचित हुए। पार्टी नेताओं का मानना है कि यादव बहुल अहीरवाल क्षेत्र से उपमुख्यमंत्री चुना जा सकता है। भाजपा ने अहीरवाल क्षेत्र में जीत दर्ज की, जो 2014 से भाजपा के साथ मजबूती से खड़ा है।
दलित को मिलेगा डेप्युटी सीएम पद
एक अन्य राजनीतिक गणित पर विचार किया जा रहा है। वह यह है कि एक दलित को भी उपमुख्यमंत्री बनाया जाए। दलित को डेप्युटी सीएम बनाए जाने के पीछे कारण है कि यह जाति भाजपा के पाले में वापस आई है। खासकर गैर-जाटव दलित ने इस बार बीजेपी को खूब वोट किया है।
महिपाल ढांडा बनेंगे मंत्री?
भाजपा के पानीपत ग्रामीण सांसद महिपाल ढांडा, जो जाट हैं और जिन्होंने एबीवीपी से अपना करियर शुरू किया था, उन्हें मंत्री पद के लिए चुना जा सकता है। सैनी के शपथ लेने पर उन्हें मंत्री बनाया गया था।
अनिल विज का क्या होगा?
यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा अनिल विज को कोई जिम्मेदारी सौंपती है या नहीं, जिन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले उपमुख्यमंत्री बनने की इच्छा जताई थी। मनोहर लाल खट्टर की जगह सैनी को लाने पर उन्हें राज्य मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था।
ब्राह्मण का भी रहेगा ख्याल?
जाट बहुल उचाना कलां सीट से ब्राह्मण देवेंद्र अत्री ने जीत दर्ज की। आजादी के बाद पहली बार भाजपा ने यह सीट जीती है, जिससे अत्री मंत्री पद के प्रमुख दावेदार बन गए हैं। इस सीट पर हरियाणा के दो बड़े राजनीतिक घरानों देवीलाल परिवार और सर छोटू राम के परिवार के बीच टकराव देखने को मिला है। अत्री ने बृजेंद्र सिंह को मामूली अंतर से हराया।
श्रुति चौधरी का बढ़ेगा कद?
इसी तरह बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी को भी मंत्री पद की दावेदार माना जा रहा है। 2023 से अब तक भाजपा ने जितने भी विधानसभा चुनाव जीते हैं, उनमें उसने जातिगत समीकरणों और राज्य के विभिन्न क्षेत्रों की आकांक्षाओं को संतुलित करने के लिए एक मुख्यमंत्री और दो उपमुख्यमंत्री के फॉर्मूले को अपनाया है। यह मॉडल राज्य स्तर पर सामूहिक नेतृत्व सुनिश्चित करता है।